मंगलहाट. प्रखंड क्षेत्र की मोकिमपुर पंचायत अंतर्गत चंडीपुर वार्ड नंबर 3 के लगभग 25 से 30 परिवार गांव से पास टापूनुमा जगह पर पिछले 25 वर्षों से रहने को विवश हैं. ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. यहां के लोग अब भी लालटेन और ढिबरी के युग में जीने को विवश हैं. हाल के दिनों में सड़क चौड़ीकरण में घर टूटने के बाद इस गांव में दो-तीन लोगों ने विद्युत कनेक्शन लिया है. पर अब तक पोल और बिजली कनेक्शन ग्रामीणों को उपलब्ध नहीं कराया गया. इस गांव में न बिजली है और न पानी की व्यवस्था, गांव से लगभग 200 मीटर की दूरी तक कोई सड़क नहीं है. हर साल बरसात के मौसम में करीब छह महीने जूझना पड़ता है. वहीं, लगभग 30 से 40 बच्चे टीन की डेगी के सहारे व नाव के सहारे जान को जोखिम में डालकर बच्चे शिक्षा के लिए महज 900 मीटर की दूरी पर स्थित प्राथमिक विद्यालय बालक चंडीपुर पहुंचते हैं. स्कूली बच्चे आठ से 10 फीट गहरे पानी में नाव व टीन की डेगी के सहारे 100 से दो सौ मीटर दूरी तय करने के पश्चात एनएच सड़क से विद्यालय पहुंचते हैं. स्कूली बच्चे छोटी कुमारी, संजू कुमारी, सुजाता कुमारी, शिवानी कुमारी, गणेश कुमार, सुहानी कुमारी, सुजीत कुमार ने कहा कि मुझे पढ़ाई करना अच्छा लगता है. इसीलिए मैं रोजाना स्कूल जाना चाहती हूं. पर जब जल्ला को पार करने के बारे में सोचती हूं तो बहुत डर लगता है. दरअसल स्कूल के समय सारे बच्चों के घरवाले उन्हें जल्ला पार करवाने आते है. ये सभी लोग जल्ला के किनारे बैठकर अपने बच्चों को आवाज लगाते रहते है ताकि वो जल्ला के पानी में नाव से गिर ना जाये और डरे नहीं. अभी दस दिन पहले तक ये बच्चे छोटी टीन के डेगी के सहारे बैठकर लपलपाती जल्ला के पानी को पार कर स्कूल जाते थे. उप मुखिया के द्वारा अंचल अधिकारी राजमहल को समस्या से अवगत कराया गया. उपरांत प्रशासनिक स्तर से नाव की व्यवस्था की गयी है. जिसे प्रत्येक दिन हम सब के बच्चे इसी नाव के सहारे जल्ला पार कर स्कूल आवागमन करते हैं. कई बार नाव में चढ़ते हुए उतरते वह पार करते के दौरान गिर भी जाते हैं, जिससे कपड़ा गीला हो जाता है. वहीं, बड़ी दुर्घटना होने की आशंका सताती है. अभिभावक सोनिया देवी, रीतादेवी, शर्मिला देव, राजेश मंडल, संजय कुमार, जीतिया देवी सहित अन्य अभिभावक ने बताया कि सरकार की योजनाओं से हम सब कोसों दूर हैं. जनप्रतिनिधि आते हैं और वादा करके चले जाते हैं. पर अब तक इस गांव को सड़क से जोड़ने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है. अब तो भगवान ही इनका मालिक है. अभिभावक ने कहा हम अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं. लेकिन कई बार उसकी बड़ी चिंता भी होती हैं. मैं जल्ला के घाट पर ही बैठी रहती हूं. जब वो स्कूल से वापस घर आ जाती है, तब जाकर चैन मिलता है. अभी कुछ दिनों से बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए एक छोटी नाव आ गयी है. – रीना देवी, अभिभावक बोले उपमुखिया इस छोटी सी टापू में रहने वाले 30 से 25 परिवार को प्रत्येक साल छह महीना बाढ़ से प्रभावित रहते हैं, इनमें रहने वाले परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ सही से नहीं पहुंच पा रहे हैं गांव में ना ही बिजली है और ना ही पानी की कोई व्यवस्था और मुख्य सड़क से गांव जाने के लिए कोई भी रास्ता नहीं है. पिछले 25 वर्षों से यह समस्या बरकरार है. – दिलीप शर्मा, उपमुखिया नाविक का कहना है स्कूली बच्चों को रोज सुबह-शाम जल्ला पार करा रहे स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए नाव चलाने का काम सौंपा है. यह नाव अंचल की ओर से चलायी जा रही है. – निताय महलदार, नाविक क्या कहते हैं बीडीओ मोकिमपुर पंचायत के संबंधित गांव में सड़क, बिजली एवं पानी की समस्या से संबंधित जानकारी ली जाएगी और समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा. – उदय कुमार सिन्हा, बीडीओ, राजमहल
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है