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जोंका गांव में डायरिया से 10 लोग आक्रांत, एक की संदिग्ध मौत

दो नये मरीज मिले, छह की स्थिति में हुआ सुधार

राजमहल/तीनपहाड़. उधवा प्रखंड क्षेत्र के जोंका गांव में बीते मंगलवार की रात्रि करीब नौ बजे डायरिया से 10 लोग प्रभावित हो गये हैं. वहीं एक 70 वर्षीय व्यक्ति की संदिग्ध मौत भी हो गयी. डायरिया का आक्रांत फैलने की सूचना मिलते ही अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ उदय टुडू टीम के साथ पीड़ितों के घर पहुंचे. वहां पहुंचकर मरीज से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लेकर अस्पताल के एंबुलेंस से तुरंत सभी लोगों को अनुमंडलीय अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया. पीड़ित पिंटू मेहरा ( 30), छोटू (8), मोहित (11), सुब्रत दास (10), दीपिका कुमारी (12), स्वामी देवी (30), राजू मेहरा (40), विवेक मेहरा (12), पूजा कुमारी (14), पूजा चौधरी (19) को भर्ती कर इलाज किया गया है. वहीं एक 70 वर्षीय व्यक्ति की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गयी है. परिजनों का कहना है कि वे पहले से हृदय रोग से ग्रसित थे. उल्टी और दस्त होने के बाद डायरिया जैसा लक्षण आ गया. उसके बाद मौत हो गयी. हालांकि मौत किस बीमारी से हुई है, यह स्पष्ट नहीं हो सका है. जोंका गांव से लाकर भर्ती कराये गये मरीजों में छह की स्थिति में सुधार होने के उपरांत मरीज के आग्रह पर उनलोगों को घर जाने दिया गया. क्योंकि मृत व्यक्ति उन्हीं लोगों के परिवार से जुड़े थे. वहीं बुधवार को दो नये मरीज भी मिले हैं, जिसकी जांच स्वास्थ्य विभाग की टीम रही है. अनुमंडलीय अस्पताल की ओर से सीएचओ, एएनएम व सहिया को प्रतिनियुक्त किया गया है. टीम के पहुंचते ही मौका देख निकले झोलाछाप डॉक्टर जोंका गांव में डायरिया का आक्रांत फैलने के बाद अनुमंडलीय अस्पताल से स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंचते ही पूर्व से वहां के मरीजों का इलाज कर रहे झोलाछाप डॉक्टर वहां से मौका देखते ही निकल लिए. झोलाछाप डॉक्टर अपने स्तर से मरीज का इलाज कर रहे थे, हालांकि मरीजों की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो सका था. कहते हैं प्रभारी उपाधीक्षक डायरिया से ग्रसित सभी मरीजों को इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती किया गया है. कुछ लोगों की स्थिति में सुधार भी है. स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पर नजर बनाये हुए है. जिस व्यक्ति की मौत हुई है, वह हृदय रोग से भी ग्रसित थे. डायरिया होने पर हृदय रोगी का चिन्हित दवाओं से इलाज होता है, जबकि झोलाछाप डॉक्टर को यह सब जानकारी नहीं होती है. उनका इलाज झोलाछाप के माध्यम से भी किया गया था. डॉ उदय टुडू, प्रभारी उपाधीक्षक, राजमहल

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