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किसान व दिव्यांग कैसे होंगे आत्मनिर्भर, उठने लगे सवाल

मुख्यमंत्री पशुधन योजना से मिला था लाभ, 14 लाभुकों के 65 बकरी की हुई मौत

पतना. किसान, विधवा महिला व दिव्यांगों को रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने व पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार के द्वारा मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना चलाया जा रहा है. इसके माध्यम से लाभुकों को 90% व 75% अनुदान पर बकरी दी जा रही है. लाभुक आगे आकर योजना का लाभ ले तो रहे हैं, परंतु योजना के तहत प्राप्त बकरी की मौत कुछ ही दिनों में हो जाती है. जिले के पतना व बरहरवा में पिछले दो माह पूर्व दर्जनों लाभुकों को योजना के तहत 90% अनुदान में बकरी दिया गया था. इसमें से 10 लाभुकों की सभी बकरियों की मौत हो गयी है. वहीं, चार लाभुकों की एक से दो बकरियां ही जीवित बची हैं. लाभुक शारदा देवी, बिजली देवी, पुष्पा देवी, रीना देवी, राखी देवी, डोली कुमारी, अर्चना कुमारी, सरस्वती देवी, लखी देवी, रेखा देवी ने बताया कि योजना के तहत उन्हें केवल 2400 रुपये में पांच बकरियां (एक पाठा ) मिली थी. जब बकरी मिल रही थी, तब वह देखने में काफी स्वस्थ लग रही थी. पर घर लाने के अगले दिन बाद ही एक-एक कर सभी बकरियों में सर्दी एवं दस्त के लक्षण देखने को मिलने लगे, जिनका उपचार कराया गया, लेकिन वे मर गयीं. पतना के प्रभारी पशुपालन पदाधिकारी डॉ दिनेश कुमार व बरहरवा के प्रभारी पशुपालन पदाधिकारी डॉ एतेशामुल हक ने बताया कि लाभुकों को संवेदक के माध्यम से बकरी उपलब्ध होती है. बिशनपुर व केंदुआ में उड़ान फाउंडेशन के द्वारा बकरी सप्लाई की जाती है. कुछ लाभुकों ने बताया कि बकरी को सप्लाई करने से पूर्व उसे गुड़ व पानी खिलाया पिलाया जाता है, जिससे बकरी तंदुरुस्त दिखे. वहीं, घर लाने के बाद बकरी को घास व दाना खिलाने पर बकरी की स्थिति बिगड़ने लगती है और मौत हो जाती है. लाभुकों ने अपना दर्द साझा करते बताया कि जब उन्हें मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत पांच बकरियां मिलीं, तो उन्हें लगा कि अब बकरियों का पालन कर वे आत्मनिर्भर बनेंगी. पर बकरियों की मौत हो गयी. सवाल है कि बकरी देने से पूर्व विभाग के द्वारा बकरियों की स्वास्थ्य जांच क्यों नहीं करायी गयी. ऐसे में किसान, दिव्यांग व विधवा महिलाएं कैसे आत्मनिर्भर बन पायेगी. इसको लेकर सवाल उठने लगे हैं. सरकारी पशु डॉक्टर का नंबर नहीं, कैसे हो इलाज लाभुकों ने बताया कि योजना के तहत प्राप्त बकरियां कुछ दिनों में बीमार होने लगी. उन लोगों के पास सरकारी पशु डॉक्टर का नंबर नहीं होने के कारण प्राइवेट पशु डॉक्टर से इलाज कराया, जिसमें कुछ खर्च भी हुआ, बावजूद इसके बकरियां नहीं बची. इस पर जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ हरिशंकर झा ने कहा कि ग्रामसभा के माध्यम से चयन कर लाभुकों को पशु दिया गया है. जनप्रतिनिधियों के पास सरकारी पशु डॉक्टर का नंबर है. किस लाभुकों के कितनी बकरियों की मौत योजना के तहत बरहरवा के बिशनपुर गांव की लाभुक राखी देवी को प्राप्त 5 बकरियों में पांचों की मौत हो गयी. डोली कुमारी की 5 बकरी की मौत, अर्चना कुमारी की 5 में 3 बकरियों की मौत, सरस्वती देवी की 5 बकरियां, लखी देवी की 5 बकरियां, रेखा देवी की 5 बकरियां, मिथिला देवी की 5 बकरियां, दया देवी की 5 में से 4 बकरियां, पंचमी देवी की 5 में से 4 बकरियां, देवंती देवी की 5 बकरियों की मौत हो गयी. इसके अलावे पतना के केंदुआ गांव की लाभुक शारदा देवी की 5 में से 4 बकरियां, बिजली देवी की 5 बकरियां, पुष्पा देवी की 5 में से 4 बकरियां व रीना देवी की 5 बकरियों की मौत हो गयी. क्या कहते हैं पदाधिकारी यदि बकरियां बीमार हुईं हैं तो पशु डॉक्टर को सूचित करें, ताकि समय पर तुरंत उसका इलाज किया जा सके. अगर किसी कारणवश बकरियों की मौत हो जाती है, तो डॉक्टर को सूचित करें. आवश्यक कागजी प्रक्रिया के बाद लाभुक को बीमा का लाभ दिलाया जायेगा. डॉ हरिशंकर झा, प्रभारी जिला पशुपालन पदाधिकारी

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