Arjun Munda on Kharsawan Firing Day|खरसावां, शचींद्र कुमार दाश/प्रताप मिश्रा : खरसावां गोलीकांड में जिन लोगों की मौत हुई, उनकी पहचान के लिए सरकार के आयोग का गठन करे. उन्हें शहीद का दर्जा दे और उनके परिजनों को उचित सम्मान. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा ने यह मांग की है. 1 जनवरी को खरसावां में शहीद बेदी पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पत्रकारों से बात कर रहे थे.
गोलीकांड के समय ओडिशा का हिस्सा था खरसावां
अर्जुन मुंडा ने कहा की अविभाजित बिहार ओड़िशा, बंगाल समेत अन्य राज्यों से भी आदिवासी उस दिन खरसावां हाट मैदान पहुंचे थे. कुछ लोगों के आंकड़े और दावे के आधार पर कुछ लोगों की जांच के बाद पहचान की गई है. उनके आश्रितों को सम्मानित भी किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार को शहीदों के चिह्नितीकरण के लिए एक कमीशन का गठन करना चाहिए, जो गोलीकांड के शहीदों की पहचान करे, साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि जिन लोगों को आज भी इतिहास में स्थान नहीं मिला है, उनको उचित सम्मान मिले.
खरसावां के शहदों को भी मिले स्वतंत्रता सेनानियों जैसा सम्मान
भाजपा नेता ने कहा कि अभी देश भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहा है. ब्रिटिश हुकूमत के समय आजादी की लड़ाई में जिन्होंने अपना बलिदान दिया, उनमें से बहुत से शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों की पहचान की गई है. उन्हें इतिहास में स्थान भी मिला है. खरसावां के शहीदों को भी इतिहास में वही स्थान मिलना चाहिए. उनको भी वही सम्मान मिलना चाहिए.
गोलीकांड के समय ओडिशा में था खरसावां
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जिस समय खरसावां में निरीह आदिवासियों पर गोलियां चलीं थीं, उस वक्त यह क्षेत्र ओडिशा में था. उसके बाद बिहार का हिस्सा बना. उन्होंने कहा कि इसके अभिलेख कहीं नहीं हैं. अब भारत सरकार ने पहल की है. झारखंड सरकार स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए उन शहीदों की सूची उपलब्ध कराए, ताकि शहीदों को उचित सम्मान मिल सके.
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जनजातीय शहीदों की भारत सरकार करा रही पहचान : अर्जुन मुंडा
अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत सरकार राज्य सरकार के सहयोग से भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल सुदूरवर्ती क्षेत्रों के जनजातीय समुदाय के उन शहीदों की, जिनकी पहचान नहीं की जा सकी है, को खोज रही है. उन्होंने कहा की जयंती वर्ष पूरे एक साल तक चलेगा और इस दौरान जनजातीय समुदाय के शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों की पहचान की जाएगी. उन्हें सम्मान दिया जायेगा.
राजकीय शोक के बावजूद लगाए गए पोस्टर-बैनर
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि देश में 7 दिन का राजकीय शोक घोषित होने के बाद भी जगह-जगह राजनीतिक दलों के बैनर- पोस्टर लगे हैं. यह दर्शाता है कि वे राजनीतिक दल पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ मनमोहन सिंह के प्रति संवेदनशील नहीं हैं.
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इन लोगों ने भी शहीदों को दी श्रद्धांजलि
खरसावां गोलीकांड में जन गंवाने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने वालों में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता जेबी तुबिद, पूर्व विधायक मंगल सिंह सोय, चक्रधरपुर के पूर्व विधायक शशि भूषण समद, जिला अध्यक्ष उदय सिंह देव, पूर्व विधायक मंगल सिंह सोय, पूर्व जिला अध्यक्ष रामनाथ महतो, विजय महतो, भाजपा नेता रतन महतो, अमरेश गोस्वामी, संजय सरदार, जितेंद्र राय व अन्य शामिल थे.
दुल सुनम के बाद शुरू हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम
खरसावां गोलीकांड की वर्षगांठ पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए सुबह से लोग पहुंचने लगे. राजनितिक दलों, सामाजिक संगठनों ने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. शहीद बेदी पर सबसे पहले दिउरी विजय सिंह बोदरा ने अन्य पुजारियों के साथ विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और दुल सुनम (तेल डाला) किया. इसके बाद श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम शुरू हुआ. श्रद्धांजलि देने के लिए लोगों की कतार लगी थी. मुख्य गेट पर जिला प्रसाशन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे.
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