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चक्रधरपुर : नगर परिषद ने बरसात से पूर्व रानी तालाब की सफाई की शुरू

सरकारी उदासीनता के कारण ऐतिहासिक धरोहर मिटने की कगार पर.कचरों से पटा तालाब, लोगों ने कचरा फेंकने वालों पर की कार्रवाई की मांग.

संवाददाता, चक्रधरपुर

चक्रधरपुर के पुरानी बस्ती, वार्ड संख्या सात, वार्ड संख्या पांच व वार्ड संख्या छह के बीचों बीच गुजरने वाला रानी तालाब अपना अस्तित्व पूरी तरह खो चुका है. यह तालाब अब शहर का सबसे बड़ा कूड़ादान बन चुका है. सरकारी उदासीनता के कारण ऐतिहासिक धरोहर मिट रहा है. वहीं, तालाब के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. जानकारी के अनुसार, बुधवार को चक्रधरपुर नगर परिषद बरसात को देखते हुए रानी तालाब को जेसीबी की मदद से सफाई कराने को लेकर संज्ञान लिया. वार्ड संख्या पांच व छह के बीचों बीच रानी तालाब पर बनी पुलिया के नीचे कचरा डाल कर मुख्य निकासी द्वार को जाम किया गया था. जनसमस्या को ध्यान को रखते हुए नगर परिषद को इस ओर अखबार के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया गया था. लेकिन नगर परिषद ने इस पर खानापूर्ति करते हुए मुख्य द्वार पर कूड़ा-कचरा के पहाड़ को दोनों क्षोर पर हटा कर छोड़ दिया.

राजा अर्जुन सिंह ने किले की सुरक्षा को बनवाया था तालाब

स्थानीय वार्डवासियों ने कहा कि नगर परिषद रानी तालाब के अंदर जमा कचरा को हटा कर बेहतर सफाई करे. बारिश के दिनों में जब तालाब पानी से लबालब होता है, उसके बाद तालाब से जल उत्प्लावन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. जल निकासी सही नहीं रहने के कारण तालाब का गंदा पानी घरों पर प्रवेश कर जाता है. प्रत्येक साल नगर परिषद की उदासीन रवैया के कारण वार्डवासियों को परेशानी झेलनी पड़ती है. लोगों ने मांग किया कि रानी तालाब की समुचित सफाई हो. कचरा फेंकने वालों पर प्रशासन दंडात्मक कार्रवाई करे. राजा अजुर्न सिंह ने अपनी किले की सुरक्षा को इस तालाब का निर्माण किया था, लेकिन वर्तमान में तालाब अपनी अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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