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गीता कोड़ा में पाला बदलने के साथ ही झारखंड में बदल गया सिंहभूम सीट का समीकरण, अब झामुमो की नजर

वर्ष 1996 में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बलमुचु सिंहभूम सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. इस सीट पर कांग्रेस गीता कोड़ा के जाने के बाद इनके नाम पर दाव चल सकती है.

रांची : लोकसभा चुनाव से पहले सिंहभूम सीट का समीकरण बदल गया है. गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल हाेने के बाद इंडिया गठबंधन के अंदर की राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है. झामुमो की नजर अब सिंहभूम सीट पर है. झामुमो कोल्हान में बड़ी ताकत है. सिंहभूम लोकसभा सीट की छह में से पांच विधानसभा सीट पर झामुमो का कब्जा है. वहीं मात्र एक सीट कांग्रेस के पास है. झामुमो का अब इस सीट पर दावा मजबूत होगा. झामुमो जमशेदपुर छोड़ सिंहभूम शिफ्ट कर सकता है. दूसरी तरफ सिंहभूम में कांग्रेस के पास कोई दमदार चेहरा नहीं है. कांग्रेस इस सीट पर पूरी तरह से गीता कोड़ा पर ही निर्भर थी. वर्ष 1996 में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बलमुचु सिंहभूम सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. इस सीट पर कांग्रेस गीता कोड़ा के जाने के बाद इनके नाम पर दाव चल सकती है. हालांकि वह बहुत कारगर फैक्टर नहीं होंगे. बागुन सुंब्रई के बेटे ने भी चुनाव लड़ने का आवदेन पार्टी को दिया है.

झामुमो का स्वाभाविक दावा बनता है : बिरुवा

मंत्री व चाईबासा के विधायक दीपक बिरुवा ने कहा कि सिंहभूम लोकसभा सीट पर पार्टी का स्वाभाविक दावा बनता है. अब परिस्थिति बदली है, तो इस पर पुनर्विचार होना चाहिए कि गठबंधन के तहत झामुमो इस सीट पर चुनाव लड़े. पिछली बार भी गीता कोड़ा जीती थीं, तो उसमें झामुमो के कार्यकर्ताओं का ही बड़ा योगदान रहा है.

गठबंधन में तय होगी आगे की रणनीति : विनोद पांडेय

झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि हम गठबंधन के तहत काम करते हैं. हमें पहले से ही पता था कि गीता कोड़ा भाजपा में चली जायेंगी. यह सही है कि सिंहभूम में सबसे मजबूत झामुमो है. पांच-पांच विधायक झामुमो के हैं. आगे की रणनीति गठबंधन की बैठक में तय की जायेगी.

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