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मनोहरपुर सीएचसी में मोबाइल की लाइट की हो रहा इलाज

वेंटिलेटर पर चल रहा केंद्र, इलाज कराना है तो लाइट की व्यवस्था खुद लेकर आते हैं मरीज

मनोहरपुर.मनोहरपुर में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था धीरे-धीरे खस्ताहाल होती जा रही है. यहां बिजली कट जाने से अस्पताल अंधेरे में डूब जाता है. ओपीडी में मोबाइल की रोशनी से मरीज का इलाज हो रहा है. बुधवार को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे लोगों ने बताया कि यहां हमेशा ऐसे ही होता है. ये आज कोई नयी बात नहीं है. अस्पताल आने से ओपीडी में डॉक्टर को दिखाते- दिखाते अगर लाइट कट जाती है, तो मरीजों को मोबाइल की लाइट जल कर इलाज करवाना पड़ता है. इसके साथ ही दवाई लेने के लिए भी मोबाइल लाइट की जरूरत पड़ती है. जिसके पास मोबाइल नहीं होती है, वे दूसरे से लाइट मांग कर इलाज करवाते हैं.

बुधवार दोपहर में बिजली हुई गुल, मरीज हुए परेशान

जानकारी के अनुसार, बुधवार को अचानक दोपहर लगभग एक से दो बजे की बीच ओपीडी के दौरान लाइट कट गयी और अस्पताल की ओपीडी में अंधेरा छा गया. लाइट के संबंध में कई बार शिकायत भी की गयी, लेकिन अस्पताल प्रबंधक के कान में जू तक नहीं रेंगी. मालूम हो कि अस्पताल के कार्यालय और मरीज वार्ड में इन्वर्टर का कनेक्शन दिया गया है, लेकिन ओपीडी में लाइट कट जाने से पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है. अस्पताल प्रशासन की ओर से इन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. खबर लिखे जाने तक मामले को लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार से बात करने की कोशिश की गयी, लेकिन बात नहीं हो पायी.

मैं तो डॉक्टर हूं, इलाज करूं या लाइट की समस्या दूर करूं : डॉ विजय

इधर, मनोहरपुर अस्पताल में अंधेरे में ओपीडी ड्यूटी तैनात डॉक्टर विजय संकर योग्यानि से लोगों ने बिजली गुल होने के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि बिजली मिस्त्री से पूछो लाइट क्यों नहीं है? मैं तो डॉक्टर हूं? मैं मरीज को देखूं या लाइट के बारे चिंता करूं.

क्या कहते हैं लोग

एक घंटे से अंधेरे में बैठे हैं अस्पताल में लाइट की कोई सुविधा नहीं है. डॉक्टर को दिखाये अंधेरे में ही जब दवाई लेने के लिए गये थे, तब दूसरे की मोबाइल लाइट जला कर दवाई ली. ऐसे में अस्पताल में कैसे इलाज होगा. अस्पताल प्रबंधन को और जिला प्रशासन को को इसपर ध्यान देने की जरूरत है.

– अघनु तिर्की, मरीज के परिजन

मनोहरपुर सीएचसी में अच्छी सुविधा नहीं मिलती है. पहले अस्पताल अच्छा था, लेकिन अब व्यवस्था अच्छी नहीं है. एक तो सही से इलाज नहीं होता है. ऊपर से अंधेरे में मरीजों को ओपीडी किया जा रहा है. ऐसे में इलाज के लिए भी डर लगता है. इसपर स्थानीय व जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है.

सुनीता बुड़, मरीज बेड़ाइचिंडा, आनंदपुर

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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