Prabhat Khabar Exclusive|चाईबासा, सुनील कुमार श्रीवास्तव : झारखंड से रोंगटे खड़े कर देने वाला एक वीडियो सामने आया है. वीडियो देख आप सन्न रह जाएंगे. एक मालगाड़ी के नीचे से स्ट्रेचर पर एक व्यक्ति को रेल लाइन पार करवाया जा रहा है. उसी मालगाड़ी के नीचे से एक-एक कर एक दर्जन से अधिक लोग रेलवे लाइन को क्रॉस करके निकल रहे हैं. जानते हैं कि ये लोग कौन हैं और क्यों ऐसा कर रहे हैं?
मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए करनी पड़ी जद्दोजहद
ये सभी एक मरीज को अस्पताल पहुंचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. मरीज को एंबुलेंस तक ले जाने के लिए उन्होंने बीमार व्यक्ति को एक किलोमीटर तक कंधे पर ढोया. फिर इस मालगाड़ी के नीचे से रेलवे ट्रैक पार करवाया. ठहरिए. अभी मरीज का सफर पूरा नहीं हुआ है. अभी तो वह एंबुलेंस तक भी नहीं पहुंचा है.
गांव से एक किलोमीटर पहले रुक गयी एंबुलेंस
मामला पश्चिमी सिंहभूम जिले के जैंतगढ़ का है. मुंडासाही गांव में पिछले दिनों एक व्यक्ति की तबीयत बिगड़ गई. उसे चंपुआ अनुमंडल अस्पताल ले जाने के लिए परिजनों को इतनी मशक्कत करनी पड़ी. अब जानिए कि इतनी मशक्कत उन्हें क्यों करनी पड़ी? दरअसल, बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिए परिजनों ने 108 नंबर पर फोन करके एंबुलेंस को बुलाया. हमेशा की तरह सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव से एक किमी पहले ही रुक गयी.
रेलवे ट्रैक पर देर तक खड़ी रही मालगाड़ी
परिजन स्ट्रेचर लेकर मरीज को कंधे पर लादकर एंबुलेंस तक ले जा रहे थे. रास्ते में एक रेलवे ट्रैक है, जिस पर मालगाड़ी खड़ी थी. कुछ देर इंतजार किया कि मालगाड़ी चली जाए, तो रेलवे ट्रैक पार करें. लेकिन, मालगाड़ी काफी देर तक खड़ी रही. मरीज की हालत बिगड़ने लगी, तो तय किया कि जल्दी रेलवे ट्रैक पार करते हैं. कोई रास्ता न था, सिवाय मालगाड़ी के नीचे से रेलवे लाइन को पार करने के.
मरीज को बचाने के लिए रेलवे ट्रैक पार करने का उठाया जोखिम
मरीज की जान बचाने के लिए परिजनों ने जान जोखिम में डालकर मालगाड़ी के नीचे से स्ट्रेचर को सरकाते हुए ट्रैक के पार पहुंचाया. फिर बारी-बारी से वे लोग भी रेलवे लाइन के उस पार निकले. स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को स्ट्रेचर समेत कंधे पर उठाया और एंबुलेंस तक पहुंचाया. इसके बाद एंबुलेंस मरीज को लेकर चंपुआ अनुमंडल अस्पताल पहुंची, जहां उसका इलाज चल रहा है.
खनिज संपदा से परिपूर्ण है पश्चिमी सिंहभूम
जैंतगढ़ उस पश्चिमी सिंहभूम जिले में आता है, जो खनिज संपदा से परिपूर्ण है, लेकिन गांवों तक सड़क नहीं बनी है, जिसकी वजह से लोगों को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हर साल सरकार अरबों रुपये सड़क और स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च करती है, लेकिन धरातल पर ऐसी परिस्थितियां उस खर्च पर सवाल खड़े करती है.
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