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जमीन के बदले नौकरी मामले में सुनवाई टली, चुनावी संग्राम के बीच अदालत की तरफ रहेंगी लालू परिवार की नजरें

रेलवे में जमीन के बदले नौकरी मामले में शुक्रवार को दिल्ली की अदालत में अहम सुनवाई होगी.

रेलवे में जमीन के बदले नौकरी मामले में गुरूवार को सुनवाई होने वाली थी जो टल गयी है. CBI के इस केस में दिल्ली के राउज एवन्यू कोर्ट में 9 मई को ये अहम सुनवाई होने वाली थी. अब 29 मई को इस मामले से जुड़ी सुनवाई होगी. तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव समेत अन्य लोगों को आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए सीबीआई ने मामला दर्ज किया था. बीते मार्च महीने में इस मामले में तीसरी सप्लीमेंट्री चार्टशीट सीबीआई ने दाखिल की थी जिसमें भोला यादव को भी आरोपित बनाया गया है. वहीं इस मामले में आरोपित अमित कात्याल की जमानत याचिका पर फैसला अदालत ने पिछले दिनों टाल दिया था. जिसपर अब आगे सुनवाई होगी.

दिल्ली की अदालत में सुनवाई टली

रेलवे में जमीन के बदले नौकरी मामले में गुरुवार 9 मई को अहम सुनवाई होनी थी जो अब 29 मई को होगी. बता दें कि लालू यादव व उनके परिवार के कई सदस्य भी इस मामले में आरोपित हैं और कोर्ट से उन्हें जमानत मिली हुई है. सीबीआई ने इस मामले में कई अन्य लोगों को भी आरोपित बनाया है. जिसमें तत्कालीन रेलमंत्री लालू यादव के सचिव रह चुके भोला यादव को भी जांच एजेंसी ने अपने रडार पर लिया है. 6 मार्च को भोला यादव को आरोपित बनाते हुए सीबीआई ने तीसरी सप्लीमेंट्री चार्टशीट दाखिल की थी. पूरक चार्जशीट में सीबीआई ने कहा है कि भोला यादव ही लालू यादव का सारा काम देखते थे और अफसरों को निर्देश देते थे.

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अमित कात्याल की जमानत याचिका

गौरतलब है कि रेलवे के लैंड फॉर जॉब मामले में जांच एजेंसी ने अमित कात्याल को भी आरोपित बनाया है और हाल में ही राऊज एवेन्यू कोर्ट में अमित कात्याल की जमानत याचिका पर फैसला टला है. इससे पहले कोर्ट ने फरवरी में इस मामले में कई आरोपितों को जमानत दी है. जमानत लेने वालों में पूर्व सीएम राबड़ी देवी, राजद सांसद मीसा भारती, हेमा यादव समेत अन्य आरोपित हैं. ईडी ने इस मामले में जांच के दौरान अमित कात्याल को गिरफ्तार किया था.

क्या है लैंड फॉर जॉब मामला

बता दें कि रेलवे में जमीन के बदले नौकरी का यह मामला उस दौरान का है जब लालू यादव रेलमंत्री थे. आरोप है कि जमीन को औने-पौने दाम में लिखवाकर रेलवे में नौकरी दी गयी. लालू परिवार के कई सदस्य इस मामले में जांच एजेंसियों के रडार पर चढ़े. लालू यादव और तेजस्वी यादव को ईडी ने अपने दफ्तर में भी बुलाया था और दोनों से लंबी पूछताछ चली थी.

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