मध्य प्रदेश के सागर जिले में सुरखी विधानसभा के एक गांव में अतिक्रमण पर कार्रवाई करते हुए वन विभाग ने कई दलितों के घरों को ध्वस्त कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पीड़ितों ने बताया कि, उनके घरों को ध्वस्त किये जाने से पहले उन्हें किसी भी तरह की कोई नोटिस जारी नहीं की गयी थी. अतिक्रमण में दलितों के घरों को तोड़े जाने का यह मामला जल्द ही राजनतिक मुद्दा बन गया. रिपोर्ट्स के अनुसार अतिक्रमण के तहत करीब 10 घरों को तोडा गया जिसके बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह परिवारों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए घटनास्थल पर धरने पर बैठ गए. कांग्रेस नेता ने सरकार पर इस तथ्य पर सोए रहने का आरोप लगाया कि पीएम आवास योजना के घर दावे के मुताबिक वन भूमि पर बनाए गए थे.
यह जो मामला है वह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी रेवेन्यू एंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर गोविन्द सींग राजपूत की सुरखी विधानसभा की है. रैपुरा गांव में फारेस्ट डिपार्टमेंट ने अतिक्रमण पर कार्रवाई करते हुए दलित समाज के करीबन 10 मकानों पर बुलडोजर चला दिया और उन्हें ध्वस्त कर दिया. घरों को तोड़े जाने के बाद पूरे इलाके में तहलका मच गया. इस मामले ने देखते ही देखते आग पकड़ ली. कांग्रेस ने भी इस मामले को नहीं गंवाया और देखते ही देखते यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया. आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने कहा कि, अतिक्रमण के नाम पर इन मकानों को अवैध रूप से तोडा गया है.
जिला अधिकारियों ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि, यह तोड़फोड़ बुधवार दोपहर को हुई. पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए घर कथित तौर पर वन भूमि पर थे और एक साल पहले नोटिस दिया गया था. नई निर्माण गतिविधि देखे जाने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया. डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर दीपक आर्य ने बताया कि, कई घरों को ध्वस्त कर दिया गया क्योंकि वे वन भूमि पर बने थे. हम पिछले एक साल से नोटिस दे रहे हैं. ये घर पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए थे. हम मामले की जांच करेंगे. आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि, जिला प्रशासन कई परिवारों को पट्टा (भूमि दस्तावेज) देकर पुनर्वास करेगा.