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MP के ‘मामा’ ने तय किया जेल से सीएम की कुर्सी तक का सफर! पढ़ें उनका राजनीतिक जीवन

मध्य प्रदेश चुनाव: तेरह साल का एक नवयुवक, संघ में जुड़ा, छात्र संघ का अध्यक्ष बना, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पुरजोर विरोध किया, 1976-77 में जेल भी गया, फिर 1990 में पहली बार विधायक और 29 नवंबर 2005 को पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ...

Shivraj Singh Chouhan: तेरह साल का एक नवयुवक, संघ में जुड़ा, छात्र संघ का अध्यक्ष बना, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पुरजोर विरोध किया, 1976-77 में जेल भी गया, फिर 1990 में पहली बार मध्य प्रदेश चुनाव जीत कर विधायक और 29 नवंबर 2005 को पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ… यह पढ़ने में भले ही चंद मिनट लगे हो लेकिन यह सफर काफी कठिन रहा. जी हां, हम बात कर रहे है एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की. तो आइए एक बार नजर डालते है उनके राजनीतिक जीवन पर और जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ प्रमुख बातें…

10वीं कक्षा में लड़ा था पहला चुनाव

शिवराज सिंह चौहान का जन्म नर्मदा नदी के किनारे बसे एक छोटे से गांव जैत में हुआ था. पढ़ाई के लिए उन्हें गांव छोड़ भोपाल जाना पड़ा था. 13 साल की उम्र में वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे. शिवराज सिंह चौहान ने अपने जीवन का पहला चुनाव 10वीं कक्षा में लड़ा था. 11वीं में पहली बार चुनाव जीत कर छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का उन्होंने जोरदार विरोध किया था, इस दौरान वह साल 1976-77 में जेल भी गए थे. 1990 में पहली बार विधायक बने और 1991 में वह पहली बार विदिशा सीट से चुनाव जीत संसद भवन पहुंचे थे.

13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे चौहान

शिवराज सिंह चौहान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मात्र 13 साल में ही कर दी थी. तब वह 10वीं कक्षा में थे जब उन्होंने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा था. चुनाव स्टूडेंट कैबिनेट के सांस्कृतिक सचिव का था, लेकिन वह इस चुनाव में हार गए थे. इसके बाद 11वीं कक्षा में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और इसमें जीत हासिल कर वह 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.

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आपात काल के दौरान जाना पड़ा था भोपाल जेल

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के समय बहुत से नेता उभर कर देश के सामने आए थे. उन्हीं में से एक शिवराज सिंह चौहान भी हैं. शिवराज सिंह चौहान उस समय आरएसएस से जुड़े थे, उन्होंने आपातकाल का पुरजोर विरोध किया था, जिसके कारण उन्हें 1976-77 में जेल भी हुई थी. जेल से निकलने के बाद वह एबीवीपी के संयोजक, महासचिव और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी बनाए गए थे. 1988 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया था.

अटल बिहारी वाजपेयी के इस्तीफे के बाद 1991 में पहली बार बने थे सांसद

शिवराज सिंह चौहान पहली बार संसद भवन विदिशा सीट से चुनाव जीतकर पहुंचे थे. इसकी वजह अटल बिहारी वाजपेयी का इस्तीफा था. दरअसल हुआ ये कि 1991 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी 2 सीट से चुनाव लड़े थे, विदिशा और लखनऊ. चुनाव में इन दोनों ही सीटो पर उनकी जीत हुई थी, जिसके बाद उन्होंने लखनऊ को प्राथमिकता देते हुए विदिशा सीट से इस्तीफा दे दिया था. इसी वजह से बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से उपचुनाव लड़ाया और शिवराज सिंह चौहान 1991 से लेकर 2005 तक विदिशा से सांसद बनते आए. अब तक वह पांच बार विदिशा सीट से जीत कर संसद जा चुके हैं. इस दौरान उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, शहरी और ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति, हिन्दी सलाहकार समिति एवं श्रम और कल्याण समिति जैसी अहम समितियों का सदस्य नियुक्त किया गया था.

शिवराज सिंह चौहान ने बतौर सीएम कई रिकॉर्ड बनाए हैं

शिवराज सिंह चौहान भाजपा के सबसे अनुभवी मुख्यमंत्री हैं. शिवराज सिंह चौहान पहली बार 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के इस्तीफा देने के बाद उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था. शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव को भारी बहुमत से जीता था जिसके बाद वह मुख्यमंत्री पद पर बरकरार रहे थे. 2018 में कांग्रेस ने चुनाव जीत कमल नाथ को मध्य प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया पर वह सरकार दो साल भी पूरे नहीं कर पाई. जिसके बाद भाजपा दोबारा से 2020 में सत्ता में आई और शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.

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