भोपाल/नयी दिल्ली : मध्य प्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार से बुधवार (18 मार्च, 2020) तक जवाब मांगा है.
न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने ‘स्थिति की तात्कालिकता’ को देखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और विधानसभा के प्रधान सचिव को नोटिस जारी किये और कहा कि इस मामले में बुधवार को सवेरे साढ़े 10 बजे सुनवाई की जायेगी.
राज्य विधानसभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति द्वारा कोरोना वायरस का हवाला देते हुए सदन में शक्ति परीक्षण कराये बगैर ही सोमवार को सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित किये जाने के तुरंत बाद शिवराज सिंह चौहान और सदन में प्रतिपक्ष के नेता तथा भाजपा के मुख्य सचेतक सहित नौ विधायकों ने सोमवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी.
राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 16 मार्च, 2020 को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था. पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हमने याचिकाकर्ताओं (चौहान और अन्य) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सौरभ मिश्रा, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को सुना. नोटिस जारी किया जाये. स्थिति की तात्कालिकता को देखते हुए नोटिस का जवाब 18 मार्च, 2020 को सवेरे साढ़े 10 बजे तक देना है.’
पीठ ने चौहान को अपनी याचिका की प्रति की राज्य सरकार, अध्यक्ष और अन्य पक्षकारों को नोटिस की तामील करने के पारंपरिक तरीके के अलावा ई-मेल पर भी इसे देने की छूट दी. यही नहीं, पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपने वाले कांग्रेस के 16 बागी विधायकों को चौहान की याचिका में पक्षकार बनाने के लिए आवेदन दायर करने की भी अनुमति प्रदान की.
कांग्रेस के बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है और इनमें से छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किये जा चुके हैं. ऐसी स्थिति में बाकी 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं करने की कोई वजह नहीं है.
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह का कहना है कि वह इस्तीफा दे चुके 16 विधायकों की ओर से इस मामले में पक्षकार बनने के लिए आवेदन दायर करेंगे. इस आवेदन की एक प्रति संबंधित पक्षों को दी जायेगी. याचिका 18 मार्च, 2020 को सवेरे साढ़े 10 बजे सूचीबद्ध की जाये.’
इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘इस मामले में सदन में शक्ति परीक्षण कराना ही तर्कसंगत है और आमतौर पर ऐसे मामलों में दूसरा पक्ष पेश होता है.’
रोहतगी ने कहा, ‘यह मामला पूरी तरह से लोकतंत्र का उपहास है. दूसरा पक्ष जानबूझकर पेश नहीं हुआ है.’ उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की ओर से किसी के पेश नहीं होने के तथ्य की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले भी ऐसे ही एक मामले की रात में सुनवाई की और सदन में विश्वास मत प्राप्त करने का आदेश दिया था.
रोहतगी के कथन का संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा, ‘हमें अल्प अवधि का नोटिस जारी करना होगा और इसे बुधवार सुबह के लिए रखते हैं.’ पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने याचिका में कहा है कि सत्तारूढ़ दल के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गयी है और ऐसी स्थिति में उसके पास सत्ता में बने रहने का ‘कोई नैतिक, कानूनी, लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार’ नहीं रह गया है.
याचिका में अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधानसभा के प्रधान सचिव को मध्यप्रदेश विधानसभा में इस न्यायालय के आदेश के 12 घंटे के भीतर ही राज्यपाल के निर्देशानुसार विश्वास मत हासिल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गयी है और वह अपनी सरकार को बहुमत की सरकार में तब्दील करने के लिए विधानसभा के सदस्यों को धमकी देने से लेकर प्रलोभन देने सहित हरसंभव उपाय कर रहे हैं.
उन्होंने दावा किया कि अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधानसभा के प्रधान सचिव ने संवैधानिक सिद्धांतों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया है. उन्होंने जान-बूझकर राज्यपाल के निर्देशों की अवहेलना की है. राज्यपाल ने 16 मार्च को विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने पर राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद सदन में शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिया था.
उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किये जाने के बाद 222 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 108 रह गयी है. इनमें वे 16 बागी विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन उन्हें अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है, जबकि सदन में भाजपा के 107 सदस्य हैं.