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Maharashtra Politics : पहले ‘वार’ फिर मुलाकात, शरद पवार से छगन भुजबल के मिलने के क्या हैं मायने

Maharashtra Politics : अजित गुट के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने शरद पवार से मुलाकात की है. इसके बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है. विधानसभा चुनाव से पहले इस मुलाकात के क्या हैं मायने

Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति गरमा गई है. अजित गुट के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने सोमवार को शरद पवार से मुलाकात की जिसके बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है. पहले से ही ऐसी खबरें आ रही थीं कि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार गुट के कुछ नेता उनसे नाराज हैं. दोनों नेताओं के बीच मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई है, जब एक दिन पहले ही छगन भुजबल ने शरद पवार पर मराठा आरक्षण को लेकर जोरदार हमला किया था.

छगन भुजबल ने क्या कहा शरद पवार को लेकर

महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने रविवार को एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार पर कटाक्ष किया था. उन्होंने दावा किया था कि विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) ने शाम पांच बजे बारामती से फोन आने के बाद 9 जुलाई को मराठा आरक्षण मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया. छगन भुजबल बारामती में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि जब सामाजिक मुद्दे सामने आते हैं, तो यह उम्मीद की जाती है कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता को बैठक में शामिल होना चाहिए. उनको अपना सुझाव देना चाहिए. पहले जानबूझकर बहिष्कार करना और फिर सलाह देना ठीक नहीं है.

अजीत पवार कर चुके हैं शरद पवार की तारीफ

इससे पहले एनसीपी के 25 साल पूरे होने के मौके पर अजीत पवार ने शरद पवार की जमकर तारीफ की थी. अजित पवार ने कहा था कि शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को उठाया था और अलग होकर नई पार्टी बनाई थी. उस वक्त से ही वे पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. हमारे संगठन को दिशा देने का काम कर रहे हैं. जून 2023 में शरद पवार से अलग होने के बाद से ऐसा पहली बार देखा गया कि, जब अजित पवार ने उनकी तारीफ की हो.

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अजित पवार ने की थी बगावत

महाराष्ट्र में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर ली थी. इसके बाद वे शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे. इस बार के लोकसभा चुनाव में वे अपनी नई पार्टी के साथ चुनावी मैदान में उतरे, तो उन्हें निराशा हाथ लगी. अजीत की पार्टी को महाराष्ट्र में एक सीट पर ही जीत मिली. लोकसभा चुनाव के परिणाम को अजित पवार के लिए झटके के तौर पर देखा गया, जो बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट के साथ गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम का पद संभाल रहे हैं.

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