Maharashtra News: बंबई हाई कोर्ट ने एक कैदी को पैरोल नहीं देने पर नासिक जेल के जेलर पर 25000 रुपये का जुर्माना लगाया है. कैदी श्रीहरि राजलिंगम गुंटुका की पैरोल अर्जी को इस वर्ष सितंबर में जेलर ने 2022 के सरकारी परिपत्र का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था. परिपत्र में फरलो और पैरोल पर जेल से बाहर आने के समय के बीच डेढ़ साल का अंतराल अनिवार्य किया गया था. नासिक जेल अधीक्षक ने गुंटुका की पैरोल अर्जी को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह अर्जी फरलो पाने के बाद जेल लौटने के 21 दिनों के अंदर ही पेश की गई है.
कोर्ट ने लगाई फटकार
अदालत ने कहा कि एक कैदी आपात स्थिति से निपटने के लिए पैरोल पर जेल से बाहर आने का हकदार है और यह शर्त लगाना कि उसे डेढ़ साल तक इंतजार करना होगा पूरी तरह से अनुचित है. हाई कोर्ट ने कहा, हमने पहले भी स्पष्ट रूप से अपना विचार व्यक्त किया है कि निकट संबंधी की गंभीर बीमारी, मकान ढहना, बाढ़, आग और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं अप्रत्याशित हैं और कोई यह अनुमान नहीं लगा सकता कि यह कब आएंगी.
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कोर्ट ने नाराजगी जताई
जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है कि जेल अधिकारियों ने अदालतों द्वारा पारित आदेशों को अनसुना कर दिया और अर्जी को खारिज करके अपने अनुसार काम किया. पीठ ने जेलर को गुंटुका के पैरोल पर पुनर्विचार करने तथा उसे संबंधित प्राधिकारी के पास भेजने का निर्देश दिया, जिसके पास निर्णय लेने का अधिकार है.