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बेस्ट की बसों पर विज्ञापनों के कारण नहीं नजर आते रिफलेक्टिव टेप, विशेषज्ञों ने बताया खतरनाक.. पढ़ें रिपोर्ट

मुंबई में बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) की ओर से संचालित की जा रही यात्री बसों पर वर्तमान में बड़े विज्ञापन लगे हुए दिखते हैं जिनमें से अधिकतर महाराष्ट्र सरकार के अभियानों से संबंधित हैं.

मुंबई में बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) की ओर से संचालित की जा रही यात्री बसों पर वर्तमान में बड़े विज्ञापन लगे हुए दिखते हैं जिनमें से अधिकतर महाराष्ट्र सरकार के अभियानों से संबंधित हैं. सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इन विज्ञापनों से बस पर लगे रिफलेक्टिव टेप ढक जाते हैं और दुर्घटनाओं का खतरा होता है.

‘रिफलेक्टिव टेप’ की वजह से वाहन रात के समय अन्य गाड़ी चालकों को बेहतर तरीके से नजर आते हैं और ये सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. नियमों के मुताबिक, बसों के पीछे, आगे और बगल में चमकीले लाल, सफेद और पीले रंग के ‘रिफ्लेक्टिव टेप’ लगाए जाने चाहिए. जब अन्य वाहनों की हेडलाइट से प्रकाश इन टेपों पर पड़ता है, तो वे चमकते हैं, जिससे वाहन दूर से अंधेरे में दिखाई देते हैं, भले ही इन वाहनों की रोशनी बंद हो.

नगर परिवहन निकाय बेस्ट ने बसों और बस स्टॉप पर विज्ञापनों का ठेका एक निजी एजेंसी को दिया है. विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान में बेस्ट की बसों पर महाराष्ट्र सरकार और कुछ निजी संस्थाओं की विभिन्न पहलों के विभिन्न बड़े विज्ञापन लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के कुछ विज्ञापन सड़क सुरक्षा पहलों और अभियानों से संबंधित हैं जिन पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. इन विज्ञापनों में से कुछ पर लिखा है, निर्णय वेगवान, महाराष्ट्र गतिमान (तेजी से फैसले, गतिमान महाराष्ट्र), आपला दावाखाना (हमारा औषधालय).

लगभग 3,400 बसों के अपने बेड़े के साथ, बेस्ट मुंबई और पड़ोसी शहरों में बस सेवा प्रदान करता है. इनमें रोजाना करीब 35 लाख यात्री सफर करते हैं. ‘बेस्ट’ के सूत्रों ने कहा कि डबल डेकर ई-बसों सहित अनुबंध के तहत ली गई ई-बसों को छोड़कर, सार्वजनिक परिवहन निकाय ने 2,000 रुपये प्रति बस के शुल्क के भुगतान पर 2,900 से अधिक बसों पर विज्ञापन के लिए तारदेव क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) से अनुमति ली है.

सेवानिवृत्त आरटीओ अधिकारी संजय ससाने ने कहा, विज्ञापन आजकल राजस्व स्रोतों में से एक हैं, लेकिन ‘रिफलेक्टिव टेप’ और नंबर प्लेट, ब्रेक लाइट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और उन्हें हर समय दिखाई देना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि इन ‘रिफलेक्टिव टेप’ को ढकना मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार परमिट की शर्तों का उल्लंघन भी है.

विशेषज्ञों और कुछ आरटीओ अधिकारियों की राय है कि बसों को विज्ञापनों से ढकने से, ‘रिफ्लेक्टिव टेप’ छिप जाते हैं और इस तरह, बेस्ट यात्रियों के जीवन को जोखिम में डाल रहा है क्योंकि वाहन सही तरीके से नहीं दृश्यमान नहीं होने के चलते अन्य वाहनों की बसों से टक्कर हो सकती है. एनजीओ ‘यूनाइटेड वे मुंबई’ के उपाध्यक्ष (सामुदायिक प्रभाव) अजय गोवाले ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बसों पर ‘रिफ्लेक्टर’ कम रोशनी में भी प्रमुखता से दिखाई दें.

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