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Rourkela News: स्मार्ट सिटी में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ चलेगा अभियान

Rourkela News: आरएमसी आयुक्त ने अधिकारियों के साथ बैठक कर शहर में एक बार फिर सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाने का निर्णय लिया है.

Rourkela News: स्मार्ट सिटी को सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल एक बार फिर शुरू हो रही है. इस सिलसिले में राउरकेला महानगर निगम के आयुक्त आशुतोष कुलकर्णी की अध्यक्षता में प्रशासनिक अधिकारियों की एक बैठक हुई. जिसमें इस गंभीर समस्या पर विस्तृत चर्चा हुई. हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले भी प्रशासन की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने के लिए जागरूकता से लेकर सख्ती तक, हर तरह के प्रयास देखे जा चुके हैं. लेकिन इसका कोई खास असर नहीं पड़ा और शहर में धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल हो रहा है. प्रशासन की ओर से बीच-बीच में कुछ दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई तो कर दी जाती है, लेकिन बड़े विक्रेता और इसका उत्पादन करनेवालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती. नतीजतन अब तक ढेरों प्रयासों के बावजूद यह अभियान सफल नहीं हो पाया है.

सामाजिक संगठनों की पहल का दिखा था कुछ असर

कुछ सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से इतर सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने के लिए अपने स्तर पर प्रयास किये हैं. जिसके लिए लोगों के बीच जूट के बैग का वितरण कर उन्हें इसके इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया गया. इसका कुछ असर दिखा और लोग सब्जी व छोटे-मोटे सामान लाने के लिए घर से ही ऐसे बैग लेकर निकलते थे. लेकिन बड़े पैमाने पर इस अभियान का लाभ अभी तक नहीं मिला है.

नहीं मिल रहा है विकल्प

दरअसल सिंगल यूज प्लास्टिक का ठोस विकल्प अभी तक नहीं मिल पाया है. बेहद सस्ते और सब्जी से लेकर नाश्ता, छोटे-मोटे सामान हर सामान को लाने-ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जाता है. इसके एवज में ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं वसूला जाता, जिस कारण ग्राहक भी इसका कोई विरोध नहीं करते हैं. ऐसे में इसका विकल्प अभी तक तैयार नहीं हुआ है. बड़े पैमाने पर इसका विकल्प तैयार किये जाने पर ही स्थिति में सुधार होगा.

विश्वकप के दौरान शहरवासियों ने मानी थी बात

हॉकी विश्वकप-2023 के दौरान शहरवासियों ने सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल ना के बराबर किया था. प्रशासन की अपील का असर दिखा था और सभी ने मिलकर इसका पालन किया था. जिससे कुछ समय के लिए शहर में इसका इस्तेमाल बंद रहा. हालांकि, बाद में प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिये जाने और लोगों में जागरूकता की कमी के कारण इसका इस्तेमाल और बढ़ गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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