Odisha News: भाजपा के वरिष्ठ विधायक जयनारायण मिश्र ने मंगलवार को विधानसभा में शून्यकाल के दौरान स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती, पूर्व मंत्री नवकिशोर दास, शिक्षिका ममिता मेहर और गोविंद साहू की हत्या का मामला उठाया. उन्होंने इन घटनाओं के इर्द-गिर्द चल रहे रहस्य का हवाला देते हुए इन चर्चित मामलों की सीबीआइ जांच की मांग दोहरायी. श्री मिश्र ने जांच प्रक्रिया पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती, ममिता मेहर, गोविंद साहू और मंत्री नव दास की मौत की सीबीआइ जांच की मांग की है, क्योंकि वर्तमान जांच ने राज्य के लोगों के बीच संदेह और आशंकाएं पैदा की हैं. इन मामलों की अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी जांच की आवश्यकता है. विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए श्री मिश्र ने इस बात पर जोर दिया कि चल रही जांच में जनता के विश्वास की कमी है. इस कारण मैंने सरकार से अपील की है कि वह सच्चाई को उजागर करने और इन मामलों से जुड़े रहस्यों को सुलझाने के लिए सीबीआइ जांच की सिफारिश करे. राज्य की जांच एजेंसी में उनके अविश्वास के बारे में पूछे जाने पर श्री मिश्र ने स्पष्ट किया कि यह एजेंसी की क्षमताओं पर संदेह करने का मामला नहीं है, बल्कि यह चिंता का विषय है कि पिछली सरकार ने पुलिस पर अनुचित प्रभाव डाला और इस कारण से जांच प्रक्रिया से समझौता होने की संभावना है. श्री मिश्र ने कहा कि जब लोगों को ओडिशा पुलिस द्वारा की गयी जांच प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है, तो हमें मामलों को उच्च जांच एजेंसी यानी सीबीआइ को सौंप देना चाहिए. इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
प्रताप केसरी देव ने शून्यकाल में तीन मुद्दों पर विस अध्यक्ष से मांगा जवाब
बीजू जनता दल के विधायक प्रताप केसरी देव ने मंगलवार को शून्यकाल के दौरान उनकी पार्टी द्वारा पहले उठाये गये तीन मुद्दों के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी से जवाब मांगा. श्री देव ने कहा कि आज 10 तारीख है और बजट सत्र कुछ ही दिनों में खत्म हो जायेगा. राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान संसदीय कार्य मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा था कि विपक्षी दल के नेता नवीन पटनायक को गिरफ्तार किया जाना चाहिए. हमने तब इसे विधानसभा के विवरण से बाहर करने के लिए कहा था. आपने हमें उस समय आश्वासन दिया था कि आप इस पर विचार करेंगी. परंतु अभी तक आपने इस पर निर्णय नहीं लिया है अथवा इसे सभा के विवरण से बाहर नहीं किया गया है. श्री देव ने कहा कि राज्यपाल के बेटे द्वारा राजभवन के एक कर्मचारी की पिटाई के मामले पर हमने विरोध जताया था. उस समय कानून मंत्री ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा था कि पुरी के जिलाधिकारी इस मामले की जांच करेंगे और 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देंगे. हालांकि, इस घटना को 15 दिन नहीं, बल्कि एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आयी है. श्री देव ने कहा कि जब सदन का सत्र चल रहा था, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने सदन के बाहर अग्निवीरों के संबंध में एक महत्वपूर्ण घोषणा की थी. सत्र जारी रहने के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण घोषणा बाहर नहीं किया जाता, बल्कि सदन में किया जाता है. हमने तब इसे लेकर कहा था कि यह सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन है. तब हमने इस मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंपने की मांग की थी. उस समय भी आपने कहा था कि इसका अध्ययन करेंगे तथा इस संबंध में निर्णय लेंगे. आपने इस मसले पर कोई फैसला भी नहीं सुनाया है. इसलिए श्री देव ने मांग की कि विधानसभा अध्यक्ष इन तीनों मुद्दों पर अपना जवाब दें.
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