राउरकेला. विधानसभा चुनाव-2024 में इस बार ओडिशा की हाई प्रोफाइल राउरकेला विधानसभा सीट चर्चा का केंद्र बनी हुई है. यहां पर मुद्दों से अधिक अनुयायियों में भाई के नाम से परिचित बीजद के शारदा प्रसाद नायक व बाबू के नाम से परिचित भाजपा के दिलीप राय के बीच मुकाबला में भाई जीतेंगे या बाबू, यही सबसे बड़ा मुद्दा है. इस चुनाव में राउरकेला सीट पर बीजद ने वर्तमान विधायक सह मंत्री शारदा प्रसाद नायक को लगातार पांचवीं बार मैदान में उतारा है. वहीं भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप राय को अपना प्रत्याशी बनाया है. इस चुनाव को लेकर यह दोनों कद्दावर नेता अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए ताकत झोंकने में लगे हैं. इसके अलावा कांग्रेस से बीरेंद्र नाथ पटनायक को उम्मीदवार बनाया गया है. लेकिन उनको उम्मीदवार बनाने को लेकर कांग्रेस के नेताओं में असंतोष होने से यह उनके खिलाफ भी जा सकता है. इसके अलावा भाजपा के बागी निहार राय भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. हालांकि इससे भाजपा व बीजद की हार या जीत पर ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, यह मानना है शहर के राजनीतिक समीक्षकों का.
रघुनाथपाली में बीजद व भाजपा में टक्कर, कांग्रेस को आरएसपी के वोटरों का आसरा
रघुनाथपाली विधानसभा में इस बार बीजद ने तीन बार विधायक का चुनाव जीतने वाले सुब्रत तराई की धर्मपत्नी अर्चना रेखा बेहेरा को मैदान में उतारा है. इसके अलावा भाजपा ने संघ परिवार समर्थित दुर्गाचरण तांती पर भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस की ओर से श्रमिक नेता गोपाल दास मैदान में हैं. इस सीट पर भी बीजद व भाजपा के बीच ही मुख्य मुकाबला होने के आसार हैं. बीजद प्रत्याशी अर्चना रेखा बेहेरा ने टिकट मिलने की घाेषणा के बाद से लेकर प्रचार के अंतिम दिन तक लगातार जनसंपर्क चलाया है. विधानसभा अंचल के वोटरों से मिली हैं. वहीं भाजपा के दुर्गाचरण तांती को तीन बार के विधायक सुब्रत तराई की नाराजगी का लाभ मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उनके स्थान पर उनकी पत्नी को बीजद की ओर से मैदान में उतारने से विधायक के प्रति लोगों में जितनी नाराजगी थी, उतनी बीजद के प्रति नहीं है. इसका लाभ बीजद को मिल सकता है. भाजपा के दुर्गाचरण तांती की ओर से कोरोना काल में जिस तरह से लोगाें की सेवा की गयी थी, उसका लाभ उन्हें मिल सकता है. लेकिन चुनाव को लेकर जिस तरह से मैराथन प्रचार किया जाना चाहिए था, उसमें वे बीजद की प्रार्थी से कमजोर नजर आये हैं. हालांकि, यदि जनता परिवर्तन का मूड बनाती है, ताे यह उनके पक्ष में जा सकता है. कांग्रेस के प्रत्याशी श्रमिक नेता गोपाल दास को आरएसपी के स्थायी से लेकर ठेका श्रमिकों के वोट का आसरा है. लेकिन आरएसपी के पांच एनजेसीएस यूनियन इंटक, बीएमएस, आरएमएस, एटक व सीटू में यह श्रमिक बंटे होने के कारण उन सभी का वोट गोपाल दास के पक्ष में पड़ेगा, इसकी संभावना कम ही है.
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