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Rourkela News: राउरकेला महानगर निगम का चुनाव नहीं होने से विकास को नहीं मिल रही रफ्तार

Rourkela News: राउरकेला महानगर निगम की घोषणा 2013 में बीजद सरकार ने की थी. इस बीच 11 साल बीत चुके हैं लेकिन इसका चुनाव नहीं हो सका है.

Rourkela News: 2013 में नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली तत्कालीन बीजू जनता दल सरकार ने राउरकेला नगरपालिका को नगर निगम बनाने की घोषणा की थी. इस बीच 11 साल बीत चुके हैं, लेकिन राउरकेला महानगर निगम (आरएमसी) का चुनाव नहीं होने से शहरवासी अपना जनप्रतिनिधि पाने से वंचित हैं. साथ ही शहर के विकास की रफ्तार भी धीमी हुई है. महानगर निगम की मान्यता मिलने के बाद राउरकेला को राज्य की दूसरी स्मार्ट सिटी घोषित की गयी है. जिससे इसका महत्व बढ़ और अधिक गया. यदि जमीनी स्तर पर निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था होती, तो प्रशासनिक और प्रतिनिधि स्तर पर लगने वाला समय महानगर के विकास को गति देने में मदद कर सकता था. इतना ही नहीं, चर्चा यह भी है कि पुलिस कमिश्नरेट जैसी व्यवस्था इसलिए लागू नहीं की जा सकती, क्योंकि महानगरीय चुनाव में निर्वाचित प्रतिनिधियों की व्यवस्था नहीं हो सकी है.

राज्य की डबल इंजन सरकार पर टिकी हैं निगाहें

राउरकेला महानगर निगम का चुनाव कराने की मांग पर तब के प्रमुख विपक्ष दल भाजपा समेत कांग्रेस ने भी लगातार आंदोलन किया था. अब राज्य में सत्ता परिवर्तन हो चुका है. भाजपा ने अब राज्य की सत्ता संभाल ली है. इतना ही नहीं, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राउरकेला महानगर चुनाव को मुख्य राजनीतिक मुद्दा बनाया था. जिससे अब राउरकेला महानगर निगम का चुनाव कराने काे लेकर भाजपा की डबल इंजन सरकार क्या पहल करती है, इस पर सभी की नजरें हैं.

छह पंचायतों को मिलाकर आरएमसी बनाने की हुई थी घोषणा

नवंबर 2013 में राज्य के शहरी विकास विभाग की ओर से प्रकाशित अधिसूचना में राउरकेला नगर पालिका को महानगर निगम घोषित किया गया था. इसमें राउरकेला नगरपालिका के वार्डों समेत छह पंचायतों को शामिल किये जाने की जानकारी दी गयी थी. लेकिन सुंदरगढ़ एक आदिवासी बहुल जिला और आरक्षित क्षेत्र होने के कारण संविधान की पांचवीं अनुसूची में आता है. इसलिए पंचायतों ने इसका विरोध किया था. जिस कारण 14 नवंबर, 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक 6 में से 4 पंचायतें महानगर निगम से अलग कर दी गयीं और सिर्फ झारतरंग और निगड़ा पंचायतें ही इसमें रखी गयीं. पांचवीं अनुसूची का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए उक्त दोनों पंचायतों ने ओडिशा हाइकोर्ट में मामला दायर किया था. मामले की सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने 27 मार्च, 2015 को राउरकेला महानगर निगम के चुनाव को निलंबित करने का आदेश जारी किया था. अंतरिम स्थगन जारी हुए नौ साल बीत चुके हैं. राज्य में एक के बाद एक नगरपालिका चुनाव हो रहे हैं, लेकिन इस अवधि में राउरकेला महानगर निगम शहरवासियों को निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं मिल पाया है.

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