भुवनेश्वर. ओडिशा के कम से कम तीन जिलों से डिप्थीरिया के मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने जीवाणु के स्वरूप का पता लगाने के लिए मरीजों के नमूनों का जीनोम अनुक्रमण कराने का निर्णय लिया है. एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी. पिछले एक सप्ताह में रायगड़ा जिले में डिप्थीरिया के कारण कम से कम पांच लोगों की मौत हुई है. इनमें से चार की घर पर और एक की अस्पताल में मौत हुई. सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि जिले में डिप्थीरिया के लगभग 15 मामले, कोरापुट में एक और कालाहांडी में पांच संदिग्ध मामले सामने आये हैं. मिश्रा ने कहा कि जीवाणु के स्वरूप के बारे में जानने के लिए संक्रमित व्यक्तियों के नमूने जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजे जायेंगे.
कोरापुट के एक, कालाहांडी के चार मरीजों का चल रहा इलाज
नीलकंठ मिश्रा ने कहा कि रायगड़ा में कोई नया मामला सामने नहीं आया है और सभी मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है, जबकि कोरापुट के मरीज का ब्रह्मपुर के एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इलाज चल रहा है. अधिकारी ने कहा कि मरीज निमोनिया से पीड़ित है और वह चिकित्सकों की निगरानी में है. कालाहांडी जिले के चार लोगों के डिप्थीरिया से संक्रमित होने का संदेह है और उन्हें भवानीपटना अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनके नमूने जांच के लिए भेजे गये थे. संक्रमित पाया गया एक अन्य व्यक्ति बाद में कहीं और चला गया, अधिकारी उसका पता लगा रहे हैं.
संदिग्ध मामलों का पता लगाने के लिए किया जा रहे सर्वेक्षण
राज्य स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अधिकारियों द्वारा तीन जिलों में डिप्थीरिया के संदिग्ध मामलों का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है. इस बीच, स्वास्थ्य सचिव शालिनी पंडित ने रायगड़ा के जिलाधिकारी को काशीपुर प्रखंड के मानुषपदर गांव में डिप्थीरिया के प्रकोप को रोकने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है.
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