Bhubaneswar News: विश्व मत्स्य दिवस पर स्थानीय इंजीनियर्स संस्थान में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ. बतौर मुख्य अतिथि मत्स्य और पशुपालन विकास, एमएसएमइ मंत्री गोकुलानंद मल्लिक ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की लोक कल्याणकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मत्स्यजीवी कल्याण योजना के माध्यम से ओडिशा को मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है. मत्स्यपालकों की आय वृद्धि, आजीविका में सुधार, लाभकारी रोजगार सृजन, पोषण सुरक्षा और निर्यात में वृद्धि में मछली पालन और जलकृषि का प्रमुख योगदान है. राज्य सरकार ने मत्स्य क्षेत्र के विकास पर विशेष जोर दिया है.
2023-24 में 11.33 लाख मीट्रिक टन मछली का हुआ उत्पादन
मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2028-29 तक 2,239 करोड़ रुपये की लागत से 17 उप-योजनाओं सहित मुख्यमंत्री मत्स्यजीवी कल्याण योजना राज्य के मत्स्य क्षेत्र के विकास में सहायक होगी. मंत्री ने बताया कि 2023-24 में 11.33 लाख मीट्रिक टन मछली का उत्पादन कर ओडिशा पूरे भारत में मत्स्य उत्पादन में चौथे स्थान पर पहुंच गया है. पिछले दो दशकों में राज्य में समुद्री खाद्य निर्यात में 12 गुना वृद्धि हुई है, जिससे 4,546 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित हुई है. इस दौरान मछली बीज उत्पादन में भी 10 गुना वृद्धि हुई और 2023-24 में 310 करोड़ मछली बीजों का उत्पादन किया गया. मत्स्यपालकों और मत्स्यजीवियों की आय में कई गुना वृद्धि के साथ उनकी आजीविका में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं.
400 से अधिक मत्स्यजीवी, उद्यमी व एसएसजी सदस्य हुए शामिल
कार्यक्रम में ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रभात कुमार राउल, मत्स्य और पशुपालन विकास विभाग के प्रमुख सचिव सुरेश कुमार वशिष्ठ और नाबार्ड के जीएम संजय कुमार तालुकदार ने भी अपने विचार रखे. पशुपालन, पशु चिकित्सा और मत्स्य निदेशक रामाशीष हाजरा ने स्वागत भाषण दिया, जबकि अतिरिक्त मत्स्य निदेशक (तकनीकी) देवानंद भंज ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. राज्य के विभिन्न हिस्सों से 400 से अधिक मत्स्यजीवी, मत्स्यपालक, उद्यमी और महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्य उपस्थित थे.
तकनीकी सत्र में सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन पर हुई चर्चा
मत्स्य क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता के लिए नौ लोगों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के बाद आयोजित दो तकनीकी सत्रों में सीफा, नाबार्ड और मत्स्य निदेशालय के वैज्ञानिक और विशेषज्ञों ने ओडिशा के मत्स्य क्षेत्र की स्थिति, विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और भविष्य के रोडमैप पर विस्तृत चर्चा की. इस अवसर पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी.
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