Rourkela News: राउरकेला श्रमिक संघ (आरएसएस) और गांगपुर मजदूर मंच (जीएमएम) के नेताओं ने रविवार को सेव प्रबंधन पर निशाना साधा. उन्होंने अडानी को आरएसपी की तालडीही खदान 25 साल के अनुबंध पर दिये जाने के विरोध में छह दिसंबर को आंदोलन किये जाने की चेतावनी दी है. आरएसएस और जीएमएम नेताओं ने रविवार को यहां हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 26 तारीख को राउरकेला स्टील प्लांट प्रबंधन ने तालडीह लौह अयस्क खदान से लौह अयस्क उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से अडानी ग्रुप को सौंप दिया है तथा इसके रखरखाव के लिए 25 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं. जिसमें कहा गया है कि यह राउरकेला इस्पात संयंत्र के निजीकरण का एक वैध प्रयास है. एक तरफ अडानी सरकार की मदद से पूरे देश में जल, जमीन, जंगल और खदानों पर कब्जा कर अपना साम्राज्य बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार की शह पर आरएसपी प्रबंधन भी उनपर मेहरबान हो रहा है.
एनजेसीएस से बकाया भुगतान के लिए हुआ समझौता
इस अवसर पर श्रमिक नेताओं ने कहा कि राउरकेला स्टील प्लांट सहित सेल के तहत सभी स्टील प्लांटों में वेतन समझौते को पूरा करने और 39 महीने का बकाया भुगतान करने के लिए एनजेसीएस के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये हैं. जिसमें इंटक, एचएमएस, एटक पहले ही हस्ताक्षर कर चुके हैं. राउरकेला मजदूर संघ और गांगपुर मजदूर मंच ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में एनजेसीएस के जरिए बकाया राशि मिल जायेगी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरएसएस के महासचिव प्रशांत कुमार बेहेरा, गांगपुर मजदूर मंच के महासचिव गोपाल दास और अध्यक्ष जॉर्ज तिर्की समेत कई मजदूर नेता मौजूद थे.
कोइड़ा माइनिंग सेक्टर में डीएमएफ से विकास कार्यों की कैग ने शुरू की ऑडिट
कोइड़ा खनन क्षेत्र को अपनी खनिज संपदा के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिलने के बाद यह क्षेत्र अब गरीबी और भ्रष्टाचार के लिए मशहूर हो रहा है. यह खनन क्षेत्र 11,000 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व उत्पन्न करता है और खननकर्ताओं द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के खजाने में हजारों करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है. इस खनन क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार ने जिला खनन कोष का गठन किया और इस खनन क्षेत्र के विकास जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के लिए राशि खर्च करने की योजना बनायी गयी थी. लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार इस खनन क्षेत्र में ऐसा कुछ नहीं कर सकी. अब सूबे में सरकार बदलने के बाद डीएमएफ या जिला खनिज निधि का रुपया कहां-कहां खर्च किया गया, इस जानकारी जिला खनिज निधि के वेब पोर्टल पर उपलब्ध कराने की मांग हो रही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है