11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bhubaneswar News: विस्मृत खाद्य फसलों के उत्पादन व मुख्यधारा में लाने के सुझाये उपाय

Bhubaneswar News: भुवनेश्वर में श्री अन्न और विस्मृत खाद्य सम्मेलन-2024 के दूसरा दिन ‘भूली-बिसरी फसलों की जैविक खेती पद्धति में जनजातीय समुदायों के अनुभव’ पर चर्चा हुई.

Bhubaneswar News: ओडिशा सरकार के कृषि और किसान सशक्तीकरण विभाग की ओर से भुवनेश्वर स्थित लोकसेवा भवन के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्री अन्न और विस्मृत खाद्य सम्मेलन के दूसरे दिन के उद्घाटन सत्र में मिशन शक्ति विभाग ने महिला स्वयं सहायता समूहों और उद्यमियों के माध्यम से विस्मृत खाद्य फसलों के व्यवसायीकरण और उद्यमशीलता पर चर्चा की. इस सत्र में राज्य के विभिन्न जिलों से 200 से अधिक मिशन शक्ति स्वयं सहायता समूहों की सदस्याओं ने भाग लिया. दूसरे चरण के सत्र में मिशन शक्ति विभाग की आयुक्त एवं सचिव शालिनी पंडित और भारत में विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रमुख एलिजाबेथ फर्ड के नेतृत्व में एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया. प्रेम चंद्र चौधरी (कृषि एवं खाद्य उत्पादन निदेशक) के सत्र का संदर्भ प्रस्तुत करने के बाद डॉ गौरी शंकर साहू (पूर्व प्रोफेसर, ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी) ने कम पानी का उपयोग कर फसल उगाने और एसएचजी समूहों के माध्यम से विस्मृत खाद्य फसलों को बढ़ावा देने के महत्व पर अपने विचार रखे. मयूरभंज जिले की महिला किसान प्यारी टूटी ने उत्तरी ओडिशा में भूली-बिसरी पारंपरिक खाद्य फसलों जैसे पालुआ, सारु और कंद मूल के उत्पादन और मूल्य संवर्धन पर अपने अनुभव साझा किये. कंकुआन की सीइओ रूपाली दत्ता महापात्र ने ओडिशा में स्थानीय औषधीय पौधों के मूल्य संवर्धन और बाजारीकरण पर अपने विचार व्यक्त किये. इसी तरह, कर्नाटक के सहज समृद्ध संस्थान के रिसोर्स को-ऑर्डिनेटर कोमल कुमार ने किसानों को उनकी पारंपरिक फसलें और उत्पादों को बाजार में लाने के बारे में चर्चा की.

देश-विदेश के विशेषज्ञों ने सझा किये विचार

सम्मेलन के एक अन्य सत्र में ‘विस्मृत खाद्य फसलों की जैविक खेती विधि पर जनजातीय समुदाय का अनुभव’ विषय पर चर्चा की गयी, जिसकी अध्यक्षता बायो डायवर्सिटी इंटरनेशनल के कंट्री डायरेक्टर डॉ जेसी राणा ने किया. इस सत्र में विशेषज्ञों ने विचार साझा किया कि विस्मृत खाद्य फसलों को पुनः खाद्य संस्कृति की मुख्यधारा में कैसे लाया जा सकता है. इस चर्चा में नीदरलैंड के वाल्टर सिमोन ने भी वर्चुअल माध्यम से भाग लिया और नीदरलैंड में ग्रासरूट संगठनों द्वारा विस्मृत खाद्य फसलों के प्रचार-प्रसार के लिए किये जा रहे कार्यों पर चर्चा की. इसी तरह, कर्नाटक से अनिता रेड्डी और नेपाल से निरंजन पुदसैनी ने जनजातीय समुदायों में बीज बैंक और बीज सम्मेलन के माध्यम से विस्मृत खाद्य फसलों को पुनः जीवित करने के अपने अनुभव साझा किये.

कोरापुट और कंधमाल की किसानों ने साझा किये अनुभव

कोरापुट जिले की अग्रणी महिला किसान रुक्मिणी खिल और कंधमाल जिले की झुलुलता प्रधान ने जैविक खेती के माध्यम से विस्मृत खाद्य फसलों की खेती के अपने अनुभवों को साझा किये. इसके अतिरिक्त, राज्य के प्रमुख विशेषज्ञ संदीप विक्रम काकड़े (राज्य प्रमुख, बीएआइएफ) और संबित पाणिग्राही (निरिक्षण प्रबंधक, ओएसओसीए, ओडिशा) ने विस्मृत खाद्य फसलों को पुनः मुख्यधारा में लाने के विभिन्न उपायों पर अपने विचार रखे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें