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ओडिशा विधानसभा में आरक्षण के मुद्दे पर हंगामा, एसटी, एससी और ओबीसी छात्रों के आरक्षण प्रावधानों की अनदेखी का लगाया आरोप

एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश में आरक्षण नहीं दिये जाने को लेकर विपक्षी विधायकों ने विस में हंगामा किया. जिस कारण लगातार पांचवें दिन कार्यवाही बाधित रही.

भुवनेश्वर. एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश में एसटी, एससी और ओबीसी उम्मीदवारों को उचित आरक्षण नहीं देने के कथित इनकार को लेकर ओडिशा विधानसभा में विपक्षी कांग्रेस और बीजू जनता दल (बीजद) सदस्यों ने शनिवार को हंगामा किया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी. कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) छात्रों को कई सीटों का नुकसान हो रहा है क्योंकि प्रशासन ने उन्हें ‘उचित कोटा’ से वंचित कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि एसटी, एससी और ओबीसी राज्य की आबादी का 94 प्रतिशत हिस्सा हैं और उन्हें संविधान द्वारा प्रदत्त उचित आरक्षण नहीं मिल रहा है. कदम ने कहा कि हालांकि राज्य में एसटी और एससी की आबादी का अनुपात 38.75 प्रतिशत है, लेकिन उन्हें प्रवेश में केवल 20 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है. इसी तरह, ओबीसी, जो राज्य की आबादी का 50 प्रतिशत हैं, उन्हें कोई आरक्षण नहीं मिल सका. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ओबीसी एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश में 27 प्रतिशत आरक्षण पाने के हकदार हैं, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिलता है. कदम ने आरोप लगाया कि सरकार ने सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रखा है, जिनकी आबादी में केवल छह प्रतिशत हिस्सेदारी है. उन्होंने आरोप लगाया कि अनुचित आरक्षण के कारण एसटी और एससी श्रेणियों को लगभग 300 सीटों का नुकसान होता है, जबकि ओबीसी को लगभग 376 सीटों का नुकसान होता है. कदम ने कहा कि इसलिए 29 अगस्त से शुरू होने वाली प्रवेश प्रक्रिया को रद्द किया जाना चाहिए और एसटी, एससी और ओबीसी श्रेणी के छात्रों के लिए उचित आरक्षण देने के बाद एक नयी अधिसूचना जारी की जानी चाहिए.

ओबीसी छात्रों को मिले 11.25 प्रतिशत आरक्षण : बीजद

बीजू जनता दल (बीजद) के सदस्य अरुण कुमार साहू ने भी इस मुद्दे पर चिंता जतायी और मांग की कि ओबीसी छात्रों को प्रवेश में कम से कम 11.25 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए जैसा कि उन्हें भर्तियों में दिया जाता है. भाजपा सदस्य टंकधर त्रिपाठी ने हालांकि निहित राजनीतिक स्वार्थ में एसटी, एससी और ओबीसी मुद्दों को उठाने के लिए बीजद और कांग्रेस की आलोचना की. उन्होंने कहा कि बीजद सरकार ने ओडिशा में अपने 24 साल के शासन के दौरान इन श्रेणियों के लिए क्या किया. इस मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष से व्यवस्था देने की मांग करते हुए विपक्षी सदस्यों ने आसन के निकट आकर प्रदर्शन किया और भाजपा विरोधी नारे लगाये.

लगातार पांचवें दिन नहीं हो सकी प्रर्थमार्ध की कार्यवाही

बीजद और कांग्रेस के सदस्यों के हंगामा के कारण शनिवार को लगातार पांचवें दिन प्रथमार्ध की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. सदन को सुचारु रूप से चलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी के बार-बार अपील करने के बावजूद विपक्षी पार्टियों के विधायकों ने हंगामा जारी रखा. इस कारण विधानसभा अध्यक्ष को दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. पहले विधानसभा अध्यक्ष ने एक घंटे व बाद में चार बजे तक के लिए सदन को स्थगित कर दिया.

विधानसभा अध्यक्ष के अपमान के मामले में निंदा प्रस्ताव पारित

विधानसभा में शुक्रवार को अध्यक्ष के अपमान के मामले में शनिवार को सदन में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया. भाजपा विधायक मानस दत्त और सिद्धांत महापात्र ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि सदन में स्पीकर की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. उन्होंने मांग की कि विपक्ष शुक्रवार के कृत्य के लिए माफी मांगे. इस मुद्दे पर सरकारी पार्टी के सचेतक निंदा प्रस्ताव लेकर आये. विपक्षी विधायकों के हंगामे के बीच मतदान में निंदा प्रस्ताव पारित हो गया. इसके बाद हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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