सुंदरगढ़. सुंदरगढ़ जिला दौरा जज की अदालत ने पति की हत्या के मामले में पत्नी व उसके प्रेमी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. वर्ष 2013 के इस चर्चित हत्याकांड में संलिप्त दोनों दोषियों पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माना नहीं देने की सूरत में छह महीने की अतिरिक्त सजा का प्रावधान रखा गया है. जानकारी के अनुसार, सुंदरगढ़ शहर के ब्राह्मणपाड़ा के गतिकृष्ण पुरोहित एक बीमा एजेंट थे. वह भारी वाहनों का बीमा करने का काम करते थे. इसी बीच विश्वरंजन पंडा की किसी तरह से उसकी पत्नी सीतू से जान-पहचान हो गयी. विश्वरंजन बीमा कराने के बहाने पहले उनके घर आया. बाद में वह अपने अच्छे व्यवहार के कारण गतिकृष्ण का मित्र बन गया. यहां तक कि दोनों पार्टी करने के साथ मौज-मस्ती भी करने लगे थे. लेकिन गतिकृष्ण को यह नहीं पता था कि उसकी पत्नी सीतू का उसके साथ अवैध संबंध दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है. समय के साथ जैसे-जैसे सीतू और विश्वरंजन का अवैध प्रेम बढ़ा, तो गतिकृष्ण को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने की साजिश रची.
चार पहिया वाहन में चाकू से गोद कर उतार दिया था मौत के घाट
हत्या से पहले सीतू अपने पिता के घर चली गयी थी. 10 अक्तूबर, 2013 को सीतू व विश्वरंजन ने गतिकृष्ण को भेड़ाबहाल चौक पर बुलाया. वहां पर चार पहिया वाहन के अंदर चाकू से गर्दन, पेट और छाती पर हमला कर उसकी हत्या कर दी. फिर गतिकृष्ण का शव हेमगिर थाना अंचल के गर्जनबहाल धनुबाउंस जंगल में जला दिया. इसके बाद सीतू पंडा ने पति की हत्या के मामले को लेकर टाउन थाना के समक्ष धरना दिया था. लेकिन सीतू पंडा से पूछताछ के बाद संदेह पैदा हुआ. जिससे पुलिस ने जांच को और सक्रिय कर दिया. आखिरकार शव बरामद हुआ और घटना का खुलासा हुआ. जिसके बाद पुलिस ने सीतू और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर कोर्ट चालान किया. इस सुनवाई के दौरान जिला दौरा जज शुभदर्शी पटनायक ने 27 गवाहों के बयान, सबूत, 28 दस्तावेज, सरकारी वकील की मजबूत दलीलों के आधार पर प्रेमी और प्रेमिका दोनों को आजीवन कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है. साथ ही पिता की हत्या व मां के जेल जाने से अनाथ उनकी बेटी को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश कानून सेवा प्राधिकरण को दिया है.
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