जयपुर : छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. उनसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेताओं के ठिकानों पर चल रही ईडी की कार्रवाई के बारे में सवाल पूछे गए थे. इससे पहले, कांग्रेस ने ईडी की छापेमारी को लेकर सरकार पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगाया था. इसके साथ ही, उसने यह भी कहा था कि सरकार अदाणी मामले की जांच क्यों नहीं करा रही.
राजस्थान की राजधानी जयपुर में बजट के बाद की प्रेसवार्ता के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोई भी एजेंसी पहले आंकड़े एकत्र करती है और उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाती है. उन्होंने कहा कि बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं की जाती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को संसद में बैठकर सुनने की आदत डालनी चाहिए.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी ने सोमवार को तथाकथित खनन और कोयला लेवी घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ में करीब दर्जन स्थानों पर नए सिरे से तलाशी ली. सूत्रों ने कहा कि जिन स्थानों पर तलाशी ली गई, उनमें कांग्रेस के विभिन्न नेताओं के घर और दफ्तर में छापेमारी की गई. जिन नेताओं के घर और ऑफिस में ईडी की ओर से तलाशी ली गई, उनमें रामगोपाल अग्रवाल, गिरीश देवांगन, आरपी सिंह, विनोद तिवारी और सनी अग्रवाल शामिल हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि अगर कोई पार्टी या राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाना चाहती है, तो जीएसटी परिषद के समक्ष रखे जाने के बाद ही इस पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह सरकार पर निर्भर नहीं है और केवल जीएसटी परिषद ही इस पर निर्णय ले सकती है. उन्होंने कहा कि इस सभी राज्यों की सहमति से ही जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है.
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इससे पहले, 11 फरवरी को मुंबई में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारतीय नियामक बहुत ही अनुभवी है और अदाणी ग्रुप से संबंधित मामले को समझते हैं. अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद उत्पन्न स्थिति को संभालने के बाद उनका यह बयान सामने आया था. हाल ही में, अदाणी ग्रुप पर अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई थी, जिसके बाद अदाणी ग्रुप के फर्मों के शेयरों में जोरदार गिरावट दर्ज की गई थी.