1984 Anti Sikh Riots: उत्तर प्रदेश के कानपुर में साल 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे में 38 साल बाद जब एसआईटी ने गिरफ्तारियां शुरू की तो आरोपितों की अपनी रोचक कहानियां सामने आनी शुरू हो गई हैं. दरअसल, सिख दंगे में कानपुर के निराला नगर कांड में एसआईटी की टीम किदवई नगर के रहने वाले एक पंडित जी को गिरफ्तार करने पहुंची थी. वहां की हकीकत जानकर सभी आश्चर्य में पड़ गये.
सिख विरोधी दंगे में जब 38 साल बाद गिरफ्तारी शुरू की गई तो एसआईटी की टीम आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए एक 87 साल के पंडित के पास पहुंची. जब उनको पता चला कि वह गिरफ्तार होने वाले हैं तो उनके हाथ-पैर कांपने लगे. उन्होंने एसआईटी अधिकारियों से कहा, ‘मैं खुद बाथरूम नहीं जा पाता. जेल में कैसे रहूंगा?’ उनकी हालत देख एसआईटी ने उनकी गिरफ्तारी नहीं की. जानकारी के मुताबिक, निराला नगर में गुरुदयाल सिंह के घर में लूटपाट, आगजनी और तीन सिखों की हत्या हुई थी. इसमें गुरुदयाल घर के सामने बने पार्क में रामजानकी मंदिर के पुजारी रामदेव मिश्रा को भी एसआईटी ने इसमें आरोपित बनाया था. आरोपित पंडित के पास से गुरुदयाल के यहां लूटा गया माल सन 1984 में बरामद किया गया था. पीड़ित के मजिस्ट्रेटी बयान में इनका नाम भी सामने आया था. एसआईटी की टीम इन्हें गिरफ्तार करने पहुंची मगर घर पर दबिश नहीं दी. दो सिपाही भेजकर इन्हें मंदिर पर ही बुलवाया गया.
एसआईटी इंस्पेक्टर सूर्य प्रताप सिंह के मुताबिक पंडित जी को बयान दर्ज कराने की बात कहकर बाहर बुलवाया गया था मगर जैसे ही उन्हें पता चला कि गिरफ्तारी होने वाली है. उनके हाथ-पैर कांपने लगे. पंडितजी की आंखों में आंसू थे. उन्होंने इंस्पेक्टर से कहा, ‘मैं ठीक से खड़ा नहीं हो पाता. जेल में कैसे रहूंगा? एसआईटी इंस्पेक्टर ने बताया कि उनकी हालत देख गिरफ्तारी नहीं की गई. दोनों सिपाहियों से उन्हें वापस घर भिजवा दिया गया.’
रिपोर्ट : आयुष तिवारी