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UP Election: यूपी की सियासी बिसात पर मोहरे बिछाने में जुटे ओवैसी, चार हिंदुओं को टिकट देकर खेला ये दांव

UP Election 2022: एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए 27 उम्मीदवार की सूची में चार हिंदू उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है. जानें इसके सियासी मायने...

UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव का समय दिन ब दिन नजदीक आता जा रहा है. इस बार यूपी चुनाव के सहारे एक नई पार्टी प्रदेश में एंट्री लेने की जद्दोजहद में जुटी हुई है. ये पार्टी है ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), जिसके चीफ असदुद्दीन ओवैसी हैं. अवैसी ने प्रदेश में एंट्री के लिए धर्म की राजनीति को सबसे ऊपर रखा है, जिसका ताजा उदाहरण उनके प्रत्याशियों की सूची है, जिसमें 4 हिन्दू उम्मीदवारों को भी एआईएमआईएम का टिकट दिया गया है.

ओवैसी ने चार हिंदूओं को बनाया प्रत्याशी

यूपी विधानसभा चुनाव के लिए 27 उम्मीदवार की सूची में चार हिंदू उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है, ओवैसी ने मेरठ विधासभा की हस्तिनापूर सीट से विनोद जाटव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि गाजियाबाद जिले की साहिबाबाद सीट से पंडित मदन मोहन झा को अपना प्रत्याशी बनाया है. मुजफ्फरनगर जिले की बुढ़ाना विधानसभा सीट से भीम सिंह बालियान पर भरोसा जताया गया है. इसके अलावा बाराबंकी जिले की रामनगर सीट से विकास श्रीवास्तव को एआईएमआईएम ने अपना उम्मीदवार बनाया है

ओवैसी को मुसलमानों के साथ किसानों की फिक्र

दरअसल, युपी चुनाव से पहले ओवैसी हर उस वर्ग तक अपनी पहुंच बना लेना चाहते हैं, जोकि किसी न किसी प्रकार से योगी सरकार से आहत हैं. यही कारण है कि ओवैसी लगातार यूपी के मुसलमानों को इज्जत और प्रदेश में उनकी कोई भागीदारी न होने का मुद्दा जोर-शोर से उठा रहे हैं. तीन नए कृषि कानून और अन्य मुद्दों को लेकर (अब वापस हो चुके हैं) किसानों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी से नाराज चल रहा है. ऐसे में ओवैसी मंच से मुसलमानों और किसानों की फिक्र करना नहीं भूलते, जिसका सीधा मतलब युपी चुनाव से जोड़ कर देखा जा सकता है.

दलित और OBC पर ओवैसी की नजर

ओवैसी ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए फॉर्मूला सेट कर दिया है. यही कारण है कि एआईएमआईएम ने बाबू सिंह कुशवाहा और भारत मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन का ऐलान किया है. उनके 22 जनवरी के बयान से बहुत हद तक स्पष्ट हो गया है कि एआईएमआईएम यूपी में मुस्लिमों के अलावा दलितों और ओबीसी वोटबैंक को भी अपने पाले में लाने की कोशिश में है. ओवैसी ने अपने बयान में कहा था कि अगर गठबंधन को सत्ता मिलती है तो 5 साल के कार्यकाल में दो सीएम होंगे, जिनमें एक दलित समाज और एक ओबीसी समाज का होगा. इसके अलावा तीन डिप्टी सीएम होंगे, जिनमें एक मुस्लिम समाज का होगा.

यूपी में ओवैसी की सियासी बिसात

राजनीतिक जानकारों की मानें तो यूपी में एंट्री करने के साथ ही ओवैसी को अच्छे से समझ आ गया है कि, सिर्फ कट्टर मुस्लिम नेता की छवि से वह सुर्खियों में तो रह सकते हैं, लेकिन यहां यूपी से कोई सीट हासिल नहीं कर सकते. ऐसे में अब ओवैसी अपने सियासी लूडो में कुछ गोटियां हिंदुओं के नाम पर आगे बढ़ा रहे हैं. जिससे की वह उन सीटों पर सपा और बीजेपी को टक्कर दे सकें, जहां मुस्लिम वोटबैंक कम हैं. अब यह तो 10 मार्च को ही पता चल सकेगा कि ओवैसी को यूपी की जनता का कितना सपोर्ट मिलता है.

Posted by Sohit Kumar

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