Ayodhya Kartik Purnima 2020: प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए भीड़ उमड़ने लगी है. सोमवार को ब्रह्ममुहूर्त से ही सरयू स्नान के लिए जुटने वालों के बीच कोविड-19 की गाइडलाइंस लागू कराने की मंशा के साथ ही अफसर भीड़ रोकने का प्लान बनाने में जुटे हैं. बाहरी श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हुए रामनगरी की सीमाएं सील कर दी गई हैं. बिना आईडी जांच के किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. रविवार शाम से ही दीपदान का उत्साह घाटों पर दिखने लगा.
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रविवार को दोपहर 12:33 बजे से कार्तिक पूर्णिमा लग गई है जो सोमवार की दोपहर 2.16 बजे बजे तक रहेगी. देश भर से लाखों श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा के पावन मौके पर अयोध्या पहुंचते हैं और सरयू स्नान करके रामलला के दर्शन करते हैं. इस बार कोरोना संकट की वजह से बाहरी लोगों के अयोध्या में प्रवेश पर रोक लगाई गई है. केवल स्थानीय लोगों को ही स्नान घाट पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए स्नान करने की अनुमति दी जाएगी. श्रद्धालु मास्क पहनकर सड़कों पर निकल सकेंगे.
अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा मेला की सुरक्षा एटीएस के हवाले कर दी गई है. सीसीटीवी कैमरों के जरिए पूरे इलाके की निगरानी की जा रही है. एसपी सिटी विजयपाल सिंह का कहना है कि ‘30 नवंबर की शाम तक अयोध्या की सीमाएं सील रखी जाएंगी.’ हिंदू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने का शास्त्रीय महत्व बताया गया है. इसी मान्यता के चलते अयोध्या में पूर्णिमा तिथि पर स्नान के लिए देश के कोने-कोने से लाखों भक्त अयोध्या पहुंचते हैं
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कार्तिक पूर्णिमा का महत्व महाभारत से भी जुड़ा है. कथा के अनुसार जब कौरवों और पांडवों में महाभारत युद्ध समाप्त हुआ तब पांडव बहुत ही परेशान और दुखी हुए कि युद्ध में उनके कई सगे- संबंधियों की मृत्यु हो गई. असमय मृत्यु के कारण वे सोचने लगे कि इनकी आत्मा को शांति कैसे मिलेगी? भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों की चिंता दूर करने के लिए कार्तिक शुक्लपक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण और दीपदान को कहा था. उसी समय से कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान और पितरों को तर्पण देने का महत्व है. पुराणों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर ही भगवान विष्णु ने धर्म, वेदों की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. इस कारण से भी हिंदू और सिख धर्म के अनुयायी कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाश उत्सव के रूप मनाते हैं.
Posted : Abhishek.