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Azamgarh-Rampur by Election: आजमगढ़-रामपुर से अखिलेश यादव ने बनायी दूरी, अंतिम दिन भी नहीं निकले घर से

सपा के सामने मैदान में बीजेपी जैसी पार्टी है जो हमेशा चुनावी मोड में रहती है. ऐसी पार्टी की चुनावी रणनीति से निपटने के लिये अखिलेश यादव ने धर्मेंद्र यादव को अकेला छोड़ दिया है. नेता प्रतिपक्ष के रूप में सीएम योगी के सामने उन्होंने चुनौती पेश करके वाहवाही बटोरी थी, वह लोकसभा उपचुनाव में गंवा दी है.

UP Lok Sabha By Election 2022: यूपी में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव का प्रचार मंगलवार 21 जून को थम गया, लेकिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव दोनों ही सीटों पर प्रचार के लिए नहीं पहुंचे. वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रचार के अंतिम दिन मंगलवार को रामपुर में ताबड़तोड़ जनसभाएं की और एक दिन पहले सोमवार को आजमगढ़ में जनसभाएं की थी. दोनों ही जगह उन्होंने अखिलेश यादव को अपने निशाने पर रखा था.

आजमगढ़ की जनता अखिलेश यादव का करती रही इंतजार

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ लोकसभा सीट से प्रत्याशी हैं. आजमगढ़ उपचुनाव की जिम्मेदारी पार्टी के महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव ने संभाली हुई है. इसके अलावा आजमगढ़ के दो बड़े क्षत्रप रमाकांत यादव और दुर्गा प्रसाद यादव ने धमेंद्र यादव के जनसंपर्क का मोर्चा संभाला हुआ है. लेकिन प्रचार के अंतिम दिन तक अखिलेश यादव की जनसभाओं का इंतजार वहां की जनता कर रही थी.

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आजम खान का मनाया लेकिन रामपुर नहीं गये

इसी तरह मो. आजम खान के इस्तीफे से खाली हुई रामपुर लोकसभा सीट से भी उन्होंने दूरी बनाये रखी. आजम खान की नाराजगी को दूर करने के लिये उन्होंने वहां से असीम राजा को प्रत्याशी बनाया है. प्रत्याशी की घोषणा के बाद से ही उन्होंने रामपुर व आजमगढ़ से दूरी बनाकर रखी है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि अखिलेश यादव की यह रवैया किसी की समझ में नहीं आ रहा है.

पार्टी की ताकत का लगा रहे अंदाजा

उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी के सामने मैदान में बीजेपी जैसी एक ऐसी पार्टी है जो हमेश चुनावी मोड में रहती है. ऐसी पार्टी की चुनावी रणनीति से निपटने के लिये उन्होंने धर्मेंद्र यादव को अकेला छोड़ दिया है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने उन्होंने चुनौती पेश करके जो वाहवाही बटोरी थी, वह लोकसभा उपचुनाव के दौरान घर में बैठे रहने से गवां दी है. अब उनकी रणनीतिक कौशल और सोच को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. वहीं कुछ रणनीतिकारों का कहना है कि अखिलेश यादव स्वयं मैदान में न उतरकर पार्टी की ताकत का अंदाजा लगाना चाह रहे हैं.

अखिलेश ने निरहुआ को 2.60 लाख वोट से हराया था

आजमगढ़ लोकसभा सीट की स्थिति पर नजर डालें तो पता चलता है कि वहां की पांच विधानसभा सीटों पर सपा को करीब 4.36 लाख से अधिक वोट मिले थे. जबकि भाजपा उम्मीदवारों को करीब 3.30 लाख वोट मिले थे. इस तरह विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को बीजेपी से एक लाख वोट ज्यादा मिले थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव अखिलेश यादव को 6.21 लाख से अधिक वोट मिले थे. जबकि दिनेश लाल यादव निहरुआ को 3.61 लाख से अधिक वोट मिले थे.

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