भाजपा गंगा एक्सप्रेस-वे के सहारे उत्तर प्रदेश के 76 विधानसभाओं के मतदाताओं को साधने की कोशिश में है. खासतौर से उन विधानसभाओं पर फोकस है, जहां 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज नहीं की थी. ऐसी विधानसभाओं पर भाजपाई परचम फैलाने की तैयारी है.
गंगा एक्सप्रेस-वे 12 जिलों की 76 विधानसभा सीट से होकर गुजरेगी. इन 76 सीटों में से 55 पर भाजपा का कब्जा है, जबकि 9 पर सपा और 4 सीटें बसपा के पास हैं. 3 कांग्रेस और 5 अन्य के पास हैं. इन सीट को अपने पाले में करने की कोशिश होगी. इसीलिए भाजपा विधानसभा चुनाव की अधिसूचना लगने से कुछ ही दिन पहले गंगा एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास पीएम नरेंद्र मोदी से करा रही है, तो वहीं लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे का उद्घघाटन कराने की तैयारी है.
इसको तीन हिस्सों में बांटा गया है. इन तीनों हिस्सों को जल्द से जल्द तैयार करने के लिए कंपनियों से कहा गया है.निर्माण करने वाली अडानी समूह की कंपनी भी है.जिससे तीनों का अलग-अलग हिस्सों में चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले उद्घघाटन किया जा सके.
किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी यूपी में भाजपा बैकफुट पर है. तीनों कृषि कानून वापस लेकर केंद्र सरकार ने सियासी समीकरण को साधने की कोशिश जरूर की है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इसके बाद भी पश्चिमी यूपी की 136 सीटों में से 60 से ज्यादा सीटों पर असर पड़ेगा.लेकिन, गंगा एक्सप्रेस के सहारे पश्चिम की इन सीट के मतदाताओं को साधने की कोशिश है.
यूपी की सत्ता तक पहुंचने के लिए भाजपा की कोशिश है कि बरेली मंडल की सभी 25 सीटों में से अधिक से अधिक सीट पर जीत दर्ज की जाए. यहां की 25 सीटों में से भाजपा ने 2017.के चुनाव में 23 सीटों पर जीत दर्ज की थी.बदायूं की सहसवान और शाहजहांपुर की जलालाबाद सीट पर जीत नहीं मिली थी, जबकि अवध की 25 में से 22 सीट पर जीत दर्ज की थी. यहां की सीतापुर के महमूदाबाद और हरदोई की हरदोई शहर सीट सपा के खाते में चली गई थी. सीतापुर की विज्ञप्ति जबकि सीतापुर की सिंधौलि सीट पर बसपा का कब्जा है.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद