Kisan Mahapanchayati Impact on UP Elections: मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. इसमें बड़ी संख्या में किसान संगठन शामिल हुए. इस महापंचायत के जरिए किसान आंदोलन ने बीजेपी के खिलाफ मिशन यूपी का आगाज कर दिया है. वहीं, इस महापंचायत ने बीजेपी सरकार की टेंशन बढ़ा दी है. कारण यह है कि पिछले तीन दशकों में जब-जब किसानों ने मुजफ्फरनगर में महापंचायत के जरिए सरकार के खिलाफ हुंकार भरी है, तब-तब उस सरकार को सत्ता से हटना पड़ा है.
भारतीय किसान यूनियन यानी भाकियू ने 35 सूत्री मांगों को लेकर चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की अगुवाई में 11 अगस्त 1987 को मुजफ्फरनगर के सिसौली में एक महापंचायत का आयोजन किया, जिसके बाद 27 जनवरी 1988 को किसानों ने मेरठ कमिश्नरी का घेराव किया. जब यहां बात नहीं बनी तो भाकियू ने दिल्ली आकर बोट क्लब में धरना दिया था, जिसका असर यह हुआ कि कांग्रेस को 1989 में यूपी विधानसभा चुनाव और 1990 में लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. दोनों जगह कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी.
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चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की अगुवाई में भारतीय किसान यूनियन ने चार फरवरी 2003 को मायावती सरकार के खिलाफ जीआईसी मैदान पर महापंचायत की थी. यह महापंचायत मुजफ्फरनगर कलेक्ट्रेट पर धरना दे रहे किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में बुलाई गई थी. इस महापंचायत के एक साल बाद ही मायावती को सत्ता से हटना पड़ा था. बसपा विधायकों ने बगावत कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया, जिसके बाद मुलायम सिंह यादव ने राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के समर्थन से सरकार बना ली.
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भारतीय किसान यूनियन ने मायावती के खिलाफ 2008 में बिजनौर में एक जनसभा का आयोजन किया. इसमें चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने मायावती के खिलाफ जातिसूचक शब्द बोल दिया था. इस बात की खबर मायावती को मिली तो उन्होंने टिकैत की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए. महेंद्र सिंह टिकैत के सिसौली स्थित घर की ओर जाने वाली सभी सड़कों को जाम कर दिया गया. पुलिस को उनकी गिरफ्तारी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा.
8 अप्रैल 2008 को जीआईसी मैदान में बसपा सरकार के खिलाफ महापंचायत हुई. इसमें चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने बसपा की मायावती सरकार को सत्ता से बेदखल करने का ऐलान किया था. इसके बाद 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा सत्ता से बाहर हो गई और सपा की अखिलेश यादव की अगुवाई में सरकार बनी.
मुजफ्फरनगर जिले में कवाल कांड के बाद भाकियू नेता राकेश टिकैत ने 7 सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ में महापंचायत बुलाई. यह महापंचायत जाट समुदाय के लिए बुलाई गई थी, जिसके बाद जिले में सांप्रदायिक दंगे हो गए. इसका नुकसान सपा को उठाना पड़ा. उसे 2017 में सत्ता गंवानी पड़ी, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सूबे में बीजेपी सरकार बनीं.
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अब 2017 के विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके पहले कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. इस महापंचायत से राकेश टिकैत ने केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार को सत्ता से बेदखल करने का ऐलान किया. अब यह तो आने वाला समय बताएगा कि इस बार किसान महापंचायत का क्या असर होता है. सूबे में बीजेपी सरकार बनी रहती है या फिर से सत्ता परिवर्तन होगा.
Posted by: Achyut Kumar