Lucknow: भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार की जमानत कोर्ट ने मंजूर कर ली है. इस मामले में पाटीदार के विरुद्ध तय समय सीमा 60 दिन में आरोप पत्र नहीं दाखिल किया जा सका. जिसके चलते भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश लोकेश वरुण ने उसे इस मामले में जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. पाटीदार को एक-एक लाख रुपये की दो जमानत और एक लाख का मुचलका दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश जारी किया गया. हालांकि अभी पाटीदार को जेल के अंदर रहना होगा. उन पर दो अन्य मामले भी दर्ज हैं.
2014 बैच के आईपीएस अफसर पाटीदार को 29 अक्टूबर 2022 को न्यायिक हिरासत में लिया गया था. इस दिन से 27 दिसंबर 2022 तक आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो जाना चाहिए था. लेकिन, विवेचक आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने में असफल रहा.
चार्जशीट दाखिल नहीं होने पर 6 जनवरी को पाटीदार की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई थी. इसके बाद आरोपी को जमानत दे दी गई. इस तरह के मामलों में यदि 60 दिन के अंदर आरोप पत्र नहीं दाखिल किया जाता है, तो आरोपी को डिफॉल्ट जमानत का अधिकार मिल जाता है. प्रदेश के इस चर्चित कांड में पुलिस की इस लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं. विभाग के उच्चाधिकारी रहे पाटीदार पर जिस तरह से मेहरबानी की गई है, उसने पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है.
यह पूरा मामला महोबा के स्टोन क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की हत्या से संबंधित है. इंद्रकांत ने 7 सितंबर 2020 को एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ एक वीडियो रिकॉर्ड किया था. इसमें इंद्राकांत ने आरोप लगाया था कि उससे 6 लाख रुपये रिश्वत मांगी गई.
इसके बाद 8 सितंबर को इंद्रकांत अपनी कार में जख्मी हालत मिला. उसकी गर्दन में पीछे की तरफ से गोली लगी थी. इसके बाद पाटीदार पर धारा 306 का केस दर्ज किया गया. बाद में इंद्रकांत की इलाज के दौरान मौत हो गई.
इसके बाद से ही तत्कालीन महोबा एसपी मणिलाल पाटीदार फरार हो गए थे. यूपी पुलिस भी अपने फरार आईपीएस को दो साल तक लगातार कई कोशिश के बाद भी गिरफ्तार नहीं कर पाई. जबकि पाटीदार पर 50 हजार से इनाम बढ़ाकर 1 लाख भी किया गया था. ये धनराशि और बढ़ाने की तैयारी चल रही थी कि पाटीदार ने पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था.