11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Ganesh Chaturthi 2022: आज घरों और पंडालों में विराजेंगे गणपति, सुख-समृद्धि के लिए करें ये काम

Ganesh Chaturthi 2022: गणेशोत्सव के पावन पर्व की शुरुआत हो चुकी है. हिंदू धर्म ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि स्वाति नक्षत्र के मध्यान काल में बप्पा का आगमन होने जा रहा है, जिसकी तैयारियां इस वर्ष बड़े जोरो शोरो पर हो रही हैं.

Ganesh Chaturthi 2022: आज से पूरे देश में गणेशोत्सव के पावन पर्व की शुरुआत हो चुकी है. 10 दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव का पर्व 9 सितंबर 2022 को गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होगा. हिंदू धर्म ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि स्वाति नक्षत्र के मध्यान काल में बप्पा का आगमन होने जा रहा है, जिसकी तैयारियां इस वर्ष बड़े जोरो शोरो पर हो रही हैं.

गणेशोत्सव के पावन पर्व को लेकर की गई सजावट

गणेशोत्सव के पावन पर्व को लेकर सड़कों मोहल्लों और घरों में गणपति के आगमन से पहले ही सुंदर सजावट के साथ पंडाल और स्टेज चौकी बनायी जा चुकी हैं. दो वर्षों के कोरोना काल के बाद इस वर्ष गणेश महोत्सव धूमधाम के साथ बड़े ही शुभ योग और तिथि मे मनाया जायेगा. शास्त्रों और ज्योतिषियों की माने तों, भगवान गणपति सप्ताह मे बुधवार के अधिष्टाता हैं, और इसी दिन बप्पा अपने भक्तों को दर्शन देने आ रहे हैं.

एक साथ बन रहे हैं कई महासंयोग

ज्योतिष गुरु पं. विजय पाण्डेय बताते हैं कि, इस वर्ष कई महासंयोग भी एक साथ बन रहे हैं, जो शुभता और लाभ के प्रतीक हैं. बुधवार यानी आज ही रवि योग और स्वाति नक्षत्र के साथ चार प्रमुख गृह भी स्वराशी में मौजूद रहेंगे. गुरू अपनी स्वराशि मीन में, शनि मकर में और बुध कन्या के साथ सूर्य देव श्वराशि सिंह में मौजूद रहेंगे. ये सभी संयोग के मध्यकाल में गणेश स्थापना करने से व्यक्ति के जीवन मे वैभव, समृद्धि और शुभ लाभ के साथ सुख की प्राप्ति होगी.

घर में इस तरह से स्थापित करें गणेश प्रतिमा

ज्योतिष गुरु पंडित विजय पाण्डेय ने बताया कि, सार्वजनिक जगहों के पंडालों में 3 फीट से लेकर 100 फीट तक की प्रतिमा स्थापित की जा सकती है. इन स्थानों पर गणेश स्थापना के लिए भगवान गणपति की मूर्ति मिट्टी से बनी हुई होनी चाहिए. वहीं घर और अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भगवान गणेश की मूर्ति मिट्टी के अलावा सोने, चांदी, स्फटिक और अन्य चीजों से बनी रख सकते हैं, जोकि एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए.

इन बातों का रखें ध्यान

भगवान गणेश की प्रतिमा जब भी स्थापित करें, तो इस बात का ध्यान रखें कि उनकी मूर्ति खंडित अवस्था में नहीं होनी चाहिए. गणेश जी की मूर्ति में उनके हाथों में अंकुश, पाश, लड्डू और सूंड उत्तर दिशा की ओर हो, और हाथ वरदान देने की मुद्रा में होने चाहिए. इसके अलावा उनके शरीर पर जनेऊ और उनका वाहन चूहा जरूर होना चाहिए. साथ ही भगवान को भोग में मेवे के लड्डू, मोदक का भोग और पान सुपारी के साथ दक्षिणा अर्पण करनी चाहिए.

इन शुभ मुहूर्त में करें स्थापना

ज्योतिष गुरु विजय पाण्डेय के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी बुधवार को प्रातः 6 बजे से 7:30 बजे तक लाभ की चौघड़िया में, प्रातः 7:30 से 9:00 बजे तक अमृत चौघड़िया में और प्रातः 10:30 से 12:00 बजे के श्रेष्ठ मुहूर्त जिसमें मध्यान काल अभिजीत मुहूर्त और शुभ की चौघड़िया प्राप्त होर ही हैं, जिसमें भगवान गणपति की स्थापना और पूजन करना उत्तम रहेगा.

दोपहर 12 बजे से 1:30 बजे तक राहूकाल रहेगा, जिसमें स्थापना और पूजन निषेध है. इसके साथ ही बड़े पंडालों में शाम 4:30 से 6 बजे तक भी भगवान गजानन की मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं, लेकिन पूजन कलश स्थापना साढ़े 3 बजे से पूर्व शुरुआत हो जानी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें