पूरे देश में उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में सीमित परिवार की अवधारणा को कानूनी जामा पहचाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया गया है. उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक 2021 का प्रारूप सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दिया, जिसमें एक बच्चे वाले सीमित परिवार को अतिरिक्त लाभ दिए जाने की अहम सिफारिशें भी शामिल हैं.
वहीं दो बच्चों वाले परिवार को सब्सिडी समेत अन्य योजनाओं के लाभ से लेकर पदोन्नति की हिमायत की गई है, जबकि दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों के लिए सरकारी नौकरी में आवेदन से लेकर पदोन्नति में प्रतिबंध होगा.
ऐसे लोग स्थानीय निकाय का चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे. सुझावों पर मंथन के बाद आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएन मित्तल के निर्देशन में प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया है. राज्य सरकार मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून के विधेयक को विधान मंडल में ला सकती है.
वहीं आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने बताया कि संशोधित ड्राफ्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में जमा कर दिया गया है. त्रिपाठी ने कहा कि आयोग को सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और वकीलों सहित 8,500 सुझाव मिले थे और लगभग 99.5 प्रतिशत लोगों ने जनसंख्या नियंत्रण कानून का समर्थन किया था.
राज्य विधि आयोग का कहना है कि 2001 से लेकर 2011 की बात करें तो प्रदेश की जनसंख्या में 20.23 का इजाफा हुआ है, गाजियाबाद में सर्वाधिक 25 फीसद से अधिक का इजाफा तो लखनऊ, मुरादाबाद, सीतापुर और बरेली में 23 से 25 फीसद के करीब इजाफा हुआ. अगर इस रफ्तार को देखा जाए तो यह प्रदेश के विकास में बाधक है, और इसके लिए सकारात्मक और दंडात्मक दोनों तरह कार्रवाई जरूरी है.
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दो बच्चे वालों को ग्रीन और एक बच्चे वालों को गोल्ड कार्ड दिया जाए, जिससे योजनाओं का लाभ लेने के संबंधित प्रपत्र बार-बार न दिखाने पड़ें.
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45 वर्ष की आयु तक एक ही बच्चा रखने वाली सभी महिलाओं को एक लाख रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि.
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ट्रांसजेंडर बच्चे को दिव्यांग के रूप में देखा जाए, यानी दो बच्चों में एक के ट्रांसजेंडर होने की दशा में भी परिवार को एक बच्चे के दिव्यांग होने की भांति ही तीसरे बच्चे की छूट होगी.
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दंपती में तलाक के बाद जो बच्चा पति या पत्नी की कस्टडी में रहेगा, वह उसकी यूनिट में ही जोड़ा जाएगा.
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नसबंदी कराने की कोई पाबंदी नहीं होगी. यदि एक परिवार में महिला की उम्र 45 वर्ष है और उसके सबसे छोटे बच्चे की उम्र 10 वर्ष है, तो ऐसे दंपती के लिए नसबंदी की आवश्यकता नहीं होगी.
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किसी को प्रेरित कर उसकी स्वेच्छा से नसबंदी कराने की दशा में संबंधित आशा वर्कर को अतिरिक्त मानदेय दिया जाएगा.
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एक संतान वाले दंपती को सरकारी नौकरी में चार इन्क्रीमेंट तक मिल सकते हैं.
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एक बच्चा होने पर उसकी शिक्षा के लिए मिलेंगे अतिरिक्त लाभ. बेटी होने पर उच्च शिक्षा के लिए स्कालरशिप भी.
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दो से अधिक बच्चे वालों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक या कोई अन्य प्रबंधन से जुड़ा पद नहीं मिलेगा.
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स्थानीय प्राधिकरण में भी सदस्य या किसी अन्य पद पर नामित नहीं किए जा सकेंगे.
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सरकारी सेवा के लिए नहीं कर सकेंगे आवेदन.
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सरकारी सेवा में पदोन्नति पर भी होगी रोक.
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सरकार को कानून लागू कराने के लिए राज्य जनसंख्या कोष बनाना होगा.
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स्कूल के पाठ्यक्रम में जनसंख्या नियंत्रण का भी अध्याय होगा.
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केवल चार यूनिट तक सीमित होगा राशनकार्ड.
Posted By Ashish Lata