17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Gyanvapi Case: सुप्रीम कोर्ट में आज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मामले की सुनवाई, फैसले पर टिकी सबकी निगाहें

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी विवाद में आज शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. हालांकि, यह मामला मुख्य विवाद से अलग है. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा पाठ रागभोग आरती करने की अनुमति मांगी है.

Varanasi News: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी विवाद में सुनवाई का सिलसिला लगातार जारी है. मामले में आज शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. हालांकि, यह मामला मुख्य विवाद से अलग है. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा पाठ रागभोग आरती करने की अनुमति मांगी है.

शिवलिंग की पूजा की मांग पर आज सुनवाई

दरअसल, ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा पाठ रागभोग आरती करने की अनुमति के मामले की सुनवाई 18 नवंबर को होनी थी , लेकिन सुनवाई के लिए अगली तारीख निर्धारित होने के कारण आज 23 नवंबर को कोर्ट में सुनवाई होनी है.

जिला जज ने खारिज कर दी थी याचिका

बता दें, ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग के पूजा-पाठ की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था. जिला जज ने याचिका खारिज करने के पूर्व कहा कि आपके आवेदन से यह प्रतीत होता है कि आपको 16 मई को ही पता लग गया था कि ज्ञानवापी में शिवलिंग मिला है. ऐसे में आप आप इतने समय तक क्या कर रहे थे…?

वादी के अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने कही ये बात

इस संबंध में वादी के अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि, अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से दाखिल इस वाद में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा पाठ रागभोग आरती करने की अनुमति मांगी गई है. मामले में आज शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की तरफ से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.

रागभोग, पूजन और आरती की मांग पर होनी है सुनवाई

अविमुक्तेश्वरानंद, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य रहे. उनकी मृत्यु के बाद शंकराचार्य का पद संभाला और अदालत में वाद दाखिल किया, जिसमे मांग की गई कि, शृंगार गौरी विवाद में मिले तथाकथित शिवलिंग की आकृति का रागभोग, पूजन और आरती जिला प्रशासन की ओर से विधिवत करना चाहिए था, लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है. उन्होंने बताया कि कानूनन देवता की परस्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है. जिसे अन्न-जल आदि नहीं देना संविधान की धारा अनुच्छेद-21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें