Health News: बदलते मौसम और भागदौड़ भरे इस जीवन में इम्यून सिस्टम कमजोर होना एक आम बात है, जिसके कारण लोगों को फ्लू, सर्दी-जुकाम और खांसी जैसी परेशानियां का सामना करना पड़ता है. इन बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए लोग दुनियाभर की दवाइयां भी खाते रहते हैं, जोकि खतरनाक साबित हो सकती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आयुर्वेद में कई बीमारियों के उपचार के लिए जलकुंभी (Water hyacinth) किसी रामबाण इलाज से कम नहीं है.
जलकुंभी पानी में तैरने वाला एक प्रकार का पौधा है. यह पौधा रुके हुए जल मे सार्वाधिक वृद्धि करता है. आयुर्वेद में जलकुंभी का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है. यह पौधा स्वाद में मीठा और हल्का सा तीखा होता है. इसमें विटामिन के (Vitamin K) भरपूर मात्रा में पाई जाती है, जोकि हड्डियों के लिए काफी लाभकारी है. इसके अलावा इस पौधे में विटामिन बी-6, सी, आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम, मैंगनीज, फोलेट और थायमिन समेत कई पोषक तत्व पाये जाते हैं.
आयुर्वेद में कई बीमारियों के उपचार के लिए जलकुंभी का औषधी के रूप में उपयोग किया जाता है. यह पौधा हाई बीपी को कंट्रोल करने में काभी मददगार साबित होता है. इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा होने के कारण ये बीपी कंट्रोल करने में काफी असरदार साबित होता है.
जलकुंभी का उपयोग इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी किया जाता है. तय मात्रा में सेवन करने से जुकाम, बुखार और खांसी जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा इसमें अल्जाइमर भी पाया जाता है, जोकि मोतियाबिंद से बचाव में काफी असरदार साबित होता है. इसके साथ ही जलकुंभी से थायराइड का भी इलाज किया जाता है. जलकुंभी में विटामिन सी, की भरपूर मात्रा होने के कारण यह अस्थमा के लक्षण दूर करने में काफी लाभकारी साबित होती है.
नोट- जलकुंभी का सेवन करने से पहले आयुर्वेदाचार्य से परामर्श जरूर करें.