Mathura News: करवा चौथ (Karva Chauth 2022) के त्यौहार पर पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, और दिन भर बिना कुछ खाए-पीए रहती हैं. इसके बाद रात में जब चांद दिख जाता है, तब कहीं जाकर उपवास खत्म होता है, लेकिन धर्म नगरी मथुरा (Mathura) जिले में एक ऐसा गांव है, जहां पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत नहीं रखती, क्योंकि इस गांव को किसी का श्राप लगा हुआ है.
मथुरा की मांट तहसील क्षेत्र में स्थित सुरीर कस्बे में महिलाएं करवा चौथ (Karva Chauth 2022) पर कोई भी साज श्रृंगार नहीं करती. अन्य जगहों की तरह महिलाएं यहां पर त्यौहार की तैयारी भी नहीं करती. क्योंकि इस गांव में सैकड़ों सालों से महिलाएं इसी तरह बिना करवा चौथ व्रत के रहती हैं. चाहे नवविवाहिता हो या 50 वर्ष की बुजुर्ग महिला सभी बिना सांज श्रृंगार और बिना व्रत के आज के दिन रहती हैं. हालांकि यहां की महिलाएं क्षेत्र में बने छोटे से सती मंदिर में पूजा करती हैं और उनसे अपने पति की लंबी उम्र की दुआ मांगती हैं.
कस्बा सुधीर में करवा चौथ क्यों नहीं मनाया जाता, जब इस बारे में क्षेत्र के कुछ बुजुर्ग लोगों से पता किया गया तो, उन्होंने बताया कि करीब ढाई सौ साल पहले राम नगला का एक व्यक्ति अपनी पत्नी को भैंसा गाड़ी से विदा कराकर वापस लौट रहा था. ऐसे में जब वह सुरीर कस्बे से निकल रहा था उसी दौरान कस्बे के कुछ लोग वहां पहुंचे और उसके भैसे को अपना बताने लगे. जिसके बाद दोनों पक्षों में विवाद हुआ और जमकर लाठी-डंडे चले.
इस विवाद में युवक की मौके पर ही मौत हो गई. यह देखकर उसकी पत्नी ने लोगों को श्राप दिया कि यहां की महिलाएं कभी श्रृंगार नहीं कर सकेंगी, और न ही कभी करवा चौथ का व्रत रखेंगी, अगर वह ऐसा करती हैं तो उनके साथ अनहोनी होगी और उनका भी पति उनसे दूर हो सकता है. इसके बाद से ही यहां की महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखना बंद कर दिया.
आज भी सुरीर कस्बे की महिलाएं करवाचौथ के दिन आम दिनों की तरह अपना कामकाज करती हैं और कोई खास साज सिंगार भी नहीं करतीं. हालांकि उनके मन में कहीं ना कहीं करवा चौथ का त्यौहार मनाने की इच्छा रहती है. लेकिन उस युवक की पत्नी के श्राप का डर उनके अंदर कहीं ना कहीं बसा हुआ है.
रिपोर्ट- राघवेन्द्र गहलोत, आगरा