Sirathu Election results 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गये है. यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की है. ऐसे में यूपी में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बनने जा रही है. वहीं कौशांबी की सिराथू सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें पल्लवी पटेल ने 7337 वोटों से मात दी है.
केशव प्रसाद मौर्य ने जबसे कौशाम्बी की सिराथू सीट से लड़ने का ऐलान किया था. तबसे यहां की सीट वीआईपी हो गई है. केशव प्रसाद मौर्य इस सीट का बेटा होने का दावा कर रहे हैं. वहीं साल 2012 के चुनाव में भी सिराथू सीट से जीत हासिल की थी. इस सीट पर समाजवादी पार्टी गठबंधन ने अपना दल कमेरवादी की उपाध्यक्ष डॉ. पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा है. पल्लवी अपनी पार्टी के सिम्बल के बजाय समाजवादी पार्टी के साइकिल निशान पर चुनाव लड़ रही हैं.
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आपको बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य ने वोट मांगते समय जनता को यह दलील दी थी कि सिराथू में ही उनका जन्म हुआ है, यहीं वो पले- बढ़े हैं. यहीं से उन्होंने पढ़ाई की है और सिराथू रेलवे स्टेशन के बाहर चाय बेचते हुए यहां के लोगों के दुख-दर्द को करीब से महसूस किया है. केशव प्रसाद मौर्य का जन्म कौशाम्बी जनपद के सिराथू में मौर्य परिवार में हुआ.
केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक जीवन की शुरुआत इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से हुई, जब वह 2002 में स्थानीय माफिया अतीक अहमद के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़े यद्यपि सात हजार मत पाकर चौथे स्थान पर रहे उसके बाद वर्ष 2007 का उत्तर प्रदेश विधानसभा उसी सीट से लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली. बाद में 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने गृह क्षेत्र सिराथू से पहली बार विधायक चुने गए. उस समय वह इलाहाबाद मंडल के चारों जिलों इलाहाबाद प्रतापगढ़ कौशाम्बी और फतेहपुर से एकलौते भाजपा विधायक चुने गए थे.
साल 2013 इलाहाबाद के केपी कॉलेज में ईसाई धर्मप्रचारक के आगमन के विरोध का नेतृत्व करते हुए पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध हुए. बाद में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उनको फूलपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और वह 3 लाख से अधिक वोटों से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद धर्मराज सिंह पटेल को पराजित करके संसद पहुंचे. अप्रैल 2016 में उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उनके ही नेतृत्व में भाजपा ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की. चुनाव परिणाम आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया. केशव प्रसाद मौर्य भाजपा की प्रदेश इकाई के पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता के तौर पर जाना जाता है.