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Narendra Giri Case: CBI की रडार पर कई बकायेदार, सुसाइड नोट के आधार पर शिकंजा कसने की तैयारी

Narendra Giri Case: महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद जांच के लिए गठित एसआईटी ने जब उनके कथित सुसाइड नोट के आधार पर उनके देनदारों की तलाश शुरू की थी तब प्रयागराज जिले के दर्जनों प्रॉपर्टी डीलर अंडर ग्राउंड हो गए थे.

महंत नरेंद्र की संदिग्ध मौत की जांच कर सीबीआई ने जांच की सुई महंत के बकायेदारों की तरफ भी घुमा दी है. महंत के ये बकायेदार प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त के व्यवसाय से जुड़े बताए जा रहे है. महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में भी दो नाम का जिक्र है. जिसमे लिखा है ” महंत नरेंद्र गिरि 2500000/ पच्चीस लाख रुपया आदित्य मिश्रा एवं 2500000/ पच्चीस लाख रुपया शैलेंद्र सिंह सेंगर रीयल स्टेट से मांगता हूं.” जिसे लेकर सीबीआई अब इनसे भी पूछताछ करेगी.

सूत्रों की माने तो महंत नरेंद्र गिरि ने बाघंबरी गद्दी पर बैठे के बाद मठ के नाम सैकड़ों बीघा जमीन का बैनामा कराया था, इसके साथ ही मठ की कुछ जमीनों को बेंचा भी था. जिससे मठ को अत्यधिक धनलाभ हुआ था. जिसके बाद महंत नरेंद्र गिरि गंगा यमुना पर समेत दर्जनों प्रॉपर्टी डीलर के संपर्क में बने रहते थे. इसमें से ज्यादातर महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य होने के साथ साथ कृपापात्र भी थे. महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में शैलेंद्र सिंह सेंगर रियल स्टेट स्पष्ट शब्दों में लिखा हुआ है. अब सीबीआई शैलेंद्र सिंह के बारे में पता लगा रही है। वहीं सीबीआई ने शैलेंद्र सिंह से कड़ाई से पूछताछ की तो रियल स्टेट से जुड़ी एक दो कड़िया और खुल सकती है.

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एसआईटी की जांच शूरू होने के बाद दर्जनों प्रॉपर्टी डीलर हो गए थे अंडरग्राउंड

महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद जांच के लिए गठित एसआईटी ने जब उनके कथित सुसाइड नोट के आधार पर उनके देनदारों की तलाश शुरू की थी तब प्रयागराज जिले के दर्जनों प्रॉपर्टी डीलर अंडर ग्राउंड हो गए थे. हालाकि, एसआईटी इस वक्त शैलेंद्र सिंह शेगंर का पता नहीं लगा सकी थी. अब वही एक बार फिर सीबीआई के जांच की सुई एकबार महंत नरेंद्र गिरि के देनदारों की ओर घूमी है. महंत ने उन्हें इतनी मोटी रकम क्यों दी थी यह जांच के बाद ही साफ हो सकेगा.

लेटे हनुमान मंदिर महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में बतौर पहले बकायेदार आदित्य मिश्रा का ही नाम है. शुरू में एसआईटी की जांच में सामने आया था की आदित्य मिश्रा लेटे हनुमान मंदिर में लड्डू की दुकान चलाता था. जिसे महंत ने मंदिर परिसर से हटा कर दुकान खाली करा दी थी. लेकिन एसआईटी की जांच में यह स्पष्ट नहीं हो सका था कि महंत के कथित सुसाइड नोट में जिस रकम का जिक्र है वह महंत नरेंद्र गिरि ने आदित्य मिश्रा को क्यों दिया था ? क्या वह मंदिर की दुकान का किराया था या महंत ने किसी जमीन के संबंध में उसे दिया था ? बहरहाल अब मामले की जांच सीबीआई के हाथों में है. सीबीआई की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है वैसे वैसे ही प्रॉपर्टी से जुड़े लोगों में भी बेचैनी बढ़ गई है.

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इनपुट: एस के इलाहाबादी

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