Kanpur News: कानपुर की जनता को आईआईटी से नौबस्ता तक सफर करने के लिए अब सिर्फ 29 महीने का और इंतजार करना होगा. अभी यात्री आईआईटी से मोतीझील तक मेट्रो की सवारी कर रहे हैं, मार्च 2025 में यात्री नौबस्ता तक मेट्रो से सफर कर सकेंगे. इस दौरान 30 मिनट के अंदर सेंट्रल स्टेशन, झकरकटी बस स्टेशन और आईआईटी तक पहुंच सकेंगे.
इसके साथ ही दिसंबर 2025 में सीएसए से बर्रा तक मेट्रो की यात्रा शुरू हो जाएगी. इसी तरह बर्रा और नौबस्ता जैसे दक्षिण के इलाके पूरी तरह उत्तरी इलाकों से कनेक्ट हो जाएंगे. कानपुर मेट्रो रेल परियोजना ने पूरे देश में रिकॉर्ड कायम किया है. दरअसल आईआईटी से मोतीझील के बीच 2 साल से भी कम अवधि में मेट्रो ट्रेन चली है. इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 दिसंबर 2021 को किया था. मोतीझील से आगे चुन्नीगंज नयागंज, बड़ा चौराहा, ट्रांसपोर्ट नगर और झकरकटी के साथ ही सीएसए बर्रा के बीच भी काम चालू हो चुका है.
हालांकि, लाल इमली की जमीन मिलने में देरी से परियोजना में बाधा जरूर आई. वहीं, कानपुर सेंट्रल स्टेशन की जमीन ना मिलने से बड़ा अवरोध खड़ा हुआ. इसके बाद भी मेट्रो के इंजीनियरों ने बहुत तेजी दिखाई है और काम को आगे जारी रखा है. वहीं, सेंट्रल स्टेशन की जमीन एलाइनमेंट को जल्द ही मिल जाने की उम्मीद है.
मेट्रो के इंजीनियरों की शोध के चलते देश में पहली बार ऐसा हुआ कि मेट्रो के ब्रेकिंग सिस्टम पर खर्च होने वाली ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए थर्ड रेल डीसी सिस्टम के साथ खास प्रकार का इनवर्टर लगाया गया. मेट्रो के ब्रेक लगाते ही इस्तेमाल हुई ऊर्जा वापस हो जाती है. यह उपकरण देश में कहीं भी ऊर्जा को बचाने के लिए अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन कानपुर में प्रत्येक 1000 यूनिट ऊर्जा के व्यय पर 400-450 यूनिट तक ऊर्जा को संरक्षित (बचाने) करने की व्यवस्था है.
कानपुर मेट्रो देश की पहली रेल परियोजना है, जिसमें पहली बार डबल टी गर्डर्स का इस्तेमाल किया गया. इससे दो अलग-अलग ट्रैक अलग-अलग वक्त पर बनाने की जरूरत नहीं पड़ी. जिसमें समय की भी बचत हुई है. वही एक साथ दोनों ट्रैक के आधार तैयार होते गए. बीच की जगह भरने के लिए कंक्रीट का भी इस्तेमाल नहीं करना पड़ा.
दिल्ली में 24 सितंबर 2002 से मेट्रो परियोजना का शुभारंभ हुआ था, जिसके कंप्लीट होने में चार वर्ष का समय लगा था. कानपुर में आईआईटी से मोतीझील के बीच 15 नवंबर 2019 को काम शुरू हुआ. 30 नवंबर 2021 में पहला ट्रायल रन हुआ. दिल्ली का पहला कॉरीडोर 8.4 किलोमीटर का था. लखनऊ का 8.5 किलोमीटर का था, कानपुर का 8.728 किलोमीटर का है. लखनऊ में जब काम शुरू हुआ तो एक दिन भी नहीं रुका, कानपुर में कोरोना के चक्कर में 4 महीने बंद रहा,और 6 माह प्रभावित भी रहा था काम.
रिपोर्ट- आयुष तिवारी, कानपुर