रांची : कोरोना संकट के बीच झारखंड समेत देश के चार राज्यों में कालाजार उन्मूलन अभियान की शुरुआत हो गयी है. झारखंड के राज्य कार्यक्रम अधिकारी (कालाजार) डॉ बी मरांडी ने कहा है कि नयी तकनीक से इस बीमारी का उपचार मात्र एक दिन में किया जाता है. झारखंड में कालाजार से प्रभावित सभी जिलों के सदर अस्पताल और चुनिंदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर लोग इस बीमारी का नि:शुल्क इलाज करवा सकते हैं.
डॉ मरांडी ने बताया कि झारखंड के चार जिलों में कालाजार का प्रभाव देखा जाता है. ये सभी जिले संथाल परगना के क्षेत्र में हैं. झारखंड की उप-राजधानी दुमका के अलावा गोड्डा, पाकुड़ एवं साहिबगंज में भी इसका असर देखा जाता है. केंद्र सरकार ने कालाजार उन्मूलन अभियान की शुरुआत की है. झारखंड में भी इस अभियान को सफल बनाने की ठानी है.
इसलिए मंगलवार (1 सितंबर, 2020) से कालाजार उन्मूलन अभियान की शुरुआत राज्य में हुई. डॉ मरांडी ने बताया कि कोविड-19 के आदर्श मानकों तथा सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है. डॉ बी मरांडी ने बताया की दो सप्ताह से ज्यादा वक्त तक बुखार का रहना, तिल्ली और जिगर बढ़ने जैसे लक्षण दिखें, तो समझ जाइए कि यह कालाजार है.
कालाजार की पहचान के यही मुख्य लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि नयी चिकित्सा पद्धति से मात्र एक दिन में इस बीमारी का इलाज किया जाता है. यह सुविधा सभी सदर अस्पतालों के अलावा प्रभावित जिलों के चुनिंदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपलब्ध है. वह भी मुफ्त में. डॉ मरांडी ने बताया कि कालाजार जनित त्वचा रोग का इलाज भी सभी जिलों में मुफ्त में किया जाता है.
उल्लेखनीय है कि बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 54 जिलों में कालाजार के रोगी अब भी मिल रहे हैं. इन 54 जिलों में झारखंड के चार जिले हैं. वर्ष 2019 में झारखंड में 541 कालाजार और 281 पोस्ट कालाजार डर्मल लेशमनीयसिस (एक चर्मरोग है, जो कालाजार की वजह से कुछ रोगियों को हो जाता है) के मामले पाये गये थे.
कालाजार एक वेक्टरजनित रोग है, जिसका संक्रमण बालू मक्खी से फैलता है. यह रोग बालू मक्खी द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है. कालाजार एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन समय पर और समुचित इलाज से यह बिल्कुल ठीक हो सकती है. भारत सरकार ने वर्ष 2020 में देश को कालाजार से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. इसी के तहत कालाजार उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है.
वर्तमान रणनीति में कालाजार उन्मूलन के दो मुख्य स्तंभ हैं. पहला शीघ्र पहचान और उपचार और दूसरा कीटनाशक दवा का छिड़काव. यानी आईआरएस. आईआरएस एक ऐसी विधि है, जिसके द्वारा घरों की भीतरी दीवारों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है.
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कालाजार के उच्च संक्रमण का मौसम शुरू होने से पहले ही कीटनाशक दवा के छिड़काव की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए, ताकि कालाजार बीमारी का कारण बनने वाली बालू मक्खी का प्रकोप कम हो और समय रहते इनसे बचाव किया जा सके. डॉ मरांडी ने प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अपने घर में कीटनाशक का छिड़काव कराने की अपील की है.
डॉ मरांडी ने बताया कि कीटनाशक के छिड़काव के समय कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है. ऐसा नहीं करने पर कीटनाशक का असर कम हो जायेगा और कालाजार का समूल नाश करना संभव नहीं हो पायेगा.
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छिड़काव से पहले घर के सभी कमरों को खाली कर दें.
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घर के सभी कमरों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव अवश्य करवायें.
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कीटनाशक का छिड़काव कराने के बाद 10 हफ्तों तक दीवारों पर मिट्टी की लिपाई-पुताई न करें. लिपाई-पुताई करने से कीटनाशकों का असर कम हो जाता है.
Posted By : Mithilesh Jha
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.