Lucknow : श्रीरामचरितमानस पर विवादित बयान देने वाले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि उनक बात को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. मौर्य ने बुधवार को कहा कि उन्होंने देश की सभी महिलाओं, दलितों को अपमानित करने वाली श्रीरामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को प्रतिबंधित करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि उनकी मांग को लोग तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करने का काम कर रहे हैं. लोग इसको आराध्य श्रीराम से जोड़ते हैं. जबकि मैंने कभी ऐसा नहीं कहा. मैंने चंद चौपाई की बात की है, जिसकी वजह से महिलाओं को अपमानित होना पड़ता है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछड़ी जाति में पैदा होने के कारण अपमान झेलना पड़ा है. इसलिए श्रीरामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को प्रतिबंधित किया जाए, जिससे लोगों को आगे अपमानित नहीं होना पड़े.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पत्र में लिखा है कि भारत का संविधान धर्म की स्वतंत्रता और उसके प्रचार-प्रसार की अनुमति देता है. धर्म मानव कल्याण के लिए है. ईश्वर के नाम पर झूठ पाखंड और अंधविश्वास फैलाना धर्म नहीं हो सकता. उन्होंने लिखा कि क्या कोई धर्म अपने अनुयायियों को अपमानित कर सकता है? क्या धर्म बैर करना सिखाता है.
सपा एमएलसी ने लिखा कि मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं. लेकिन, धर्म के नाम पर फैलाई जा रही घृणा और वर्णवादी मानसिकता का विरोध करता हूं. इसलिए हमारी मांग है कि पाखंड और अंधविश्वास फैलाने वाली और हिंसा प्रेरित प्रवचन करने वाले कथा वाचकों के सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया जाए और उन पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए.
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के लागू होने के बाद सभी धर्म एक समान है. सपा एमएलसी ने लखनऊ को लखनपुरी बनाने के विषय पर कहा कि आज भाजपा सरकार अपनी असफलता पर पर्दा डालने के लिए इस प्रकार का हथकंडा अपना रही है.
इससे पहले श्रीरामचरितमानस पर अपने विवादित बयान के बावजूद स्वामी प्रसाद मौर्य के तेवर बरकरार थे. प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों के बावजूद वह अपने बयान से पीछे हटने को तैयार नहीं थे. सपा नेता लगातर कह रहे थे कि वह अपने बयान पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि यदि धर्म के नाम पर किसी जाति विशेष, धर्म विशेष का अपमान होता है तो वह धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता है.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने बयान से संतों में आक्रोश को लेकर कहा कि देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों के सम्मान की बात करने से तथाकथित धर्म के ठेकेदारों को मिर्ची क्यों लग रही है. आखिर ये भी तो हिन्दू ही हैं. क्या अपमानित होने वाले 97 प्रतिशत हिन्दुओं की भावनाओं पर अपमानित करने वाले 3 प्रतिशत धर्माचार्यों की भावनायें ज्यादा मायने रखती हैं.