25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Kanpur News: मां को मोक्ष दिलाने सात समंदर पार से कानपुर पहुंचा बेटा, कोरोना काल में हुई थी मां की मौत

Kanpur News: कानपुर के आर्यनगर में रहने वाली 65 वर्षीय कल्पना दीक्षित का निधन दो साल पहले कोरोना काल में हो गया था. अपनी मां की मौत होने की जानकारी जब दीपांकर को हुई तो उन्होंने भारत आने का बहुत प्रयास किया लेकिन कोरोना में लगे लॉकडाउन की वजह से वह भारत नहीं पाए.

Kanpur News: कोरोना काल ये एक ऐसा शब्द है, जो शायद ही कोई याद रखना चाहे. कोरोना काल में ऐसा भी समय आया था, जब किसी की मौत पर उसके परिवार के सदस्य तक शामिल नही हो पा रहे थे. कोरोना काल में मानवता की झकझोर देने वाले ऐसे लम्हें भी आए, जहां अंतिम संस्कार में भी परिवार के लोग तक नहीं पहुंच पाए. वहीं कानपुर के भैरव घाट पर बने युग दधीचि देहदान संस्थान ऐसे ही दिवंगत हो चुके लोगों की अस्थियां संभाल कर रखे हुए है.

आपको बता दें की सनातन धर्म की परंपरा रही है कि मरने के बाद मोक्ष तभी मिलता है, जब अस्थियों का गंगाजी में विसर्जन किया जाए. सनातन धर्म की यह परंपरा विदेश में रहने वाले प्रवासी आज तप नहीं भूले है, इसलिए इंग्लैंड में रहने वाले दीपांकर दीक्षित कानपुर पहुंचे. भैरोघाट के मोक्षधाम में अस्थि कलश बैंक से अपनी मां की अस्थियों का पूरे विधि विधान से पूजन करने के बाद प्रयागराज के लिए रवाना हो गए.

2 साल पहले हुआ था माँ का निधन

बताते चलें कि कानपुर के आर्यनगर में रहने वाली 65 वर्षीय कल्पना दीक्षित का निधन दो साल पहले कोरोना काल में हो गया था. अपनी मां के मौत होने की जानकारी जब दीपांकर को हुई तो उन्होंने भारत आने का बहुत प्रयास किया लेकिन कोरोना में लगे लॉकडाउन की वजह से वह भारत नहीं आ सके थे. इस वजह से कल्पना के शव का अंतिम संस्कार उनके भतीजे आनंद त्रिपाठी ने किया था. लेकिन मृतिका कल्पना के बेटे दीपांकर ने अपने ससुर जगतवीर सिंह द्रोण से आग्रह कर उनकी अस्थियां सुरक्षित रखने के लिए कहा. जिसके बाद अंतिम संस्कार के बाद मृतिका कल्पना दीक्षित की अस्थियां भैरोघाट पर बने अस्थि कलश बैंक में सुरक्षित रख दी गई थी.

वहीं अस्थि बैंक के संस्थापक ने बताया कि , ‘ये अस्थि कलश कल्पना जी का था. उनके बेटे नहीं आये थे तो भतीजे ने अंतिम संस्कार किया था. दो साल बाद उनके बेटे आए हैं और पूजन विधि के बाद अस्थि कलश प्रयागराज ले जा रहे हैं, जहां उनका विसर्जन किया जायेगा.’

पूरे विधि-विधान से बेटे दीपांकर और बहू जया ने कल्पना की अस्थियों का पूजन करने के बाद प्रयागराज के लिए रवाना हुए, जहां पर वो कल्पना की अस्थियों को संगम में विसर्जित करेंगे. मृतिका कल्पना की बहू जया ने बताया कि कोरोना के समय लॉकडाउन लगा हुआ था, जिसके कारण हम लोग भारत नहीं आ सके थे. अब दो साल बाद भारत आ सके है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें