Varanasi: काशी में संत रविदास की जयंती बेहद उत्साह के साथ मनाई जा रही है. इस मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर सीर गोवर्धनपुर में लाखों भक्त आस्था के साथ पहुंचे. संत रविदास को मानने वाले रैदासी भक्तों की भीड़ यहां उमड़ी हुई है. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी रविदास मंदिर पहुंचे और माथा टेका. इस दौरान सेवादारों ने सीएम योगी को रुमाल बांधा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी के सीर गोवर्धन में संत शिरोमणि गुरु रविदास की पावन जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होना सौभाग्य का अवसर है. उनके दर्शन-विचार और संपूर्ण जीवन से कर्म प्रधान व समरस समाज के निर्माण के लिए सीख मिलती है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीर गोवर्धनपुर में संत निरंजन दास से बातचीत की साथ ही प्रधानमंत्री का संदेश भी पढ़ा. उन्होंने कहा कि आज बड़ा पावन दिन है. आज से 646 वर्ष पूर्व काशी की इस पावन धरा पर एक दिव्य ज्योति का प्रकटीकरण हुआ, जिन्होंने तत्कालीन भक्तिमार्ग के प्रख्यात संत सद्गुरु रामानंद जी महाराज के सानिध्य में अपनी तपस्या और साधना के माध्यम से सिद्धि प्राप्त की थी. आज उसी सिद्धि के प्रसाद स्वरूप मानवता के कल्याण का मार्ग किस तरह प्रशस्त हो रहा है, ये हम सबको स्पष्ट दिखाई देता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं आज सबसे पहले केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उपस्थित सभी श्रद्धालुओं, भक्तों और सीर गोवर्धन से जुड़े सभी शुभचिंतको के प्रति लख लख बधाई देता हूं. हम सब जानते हैं कि भक्ति के साथ साथ कर्मसाधना को सद्गुरु ने सदैव महत्व दिया. उन्होंने मन चंगा तो कठौती में गंगा कह के समाज को कर्म का संदेश दिया. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भेजा गया संदेश पढ़ा.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश पढ़ा. इसमें कहा गया कि संत रविदास जी की 646वीं जयंती पर समस्त देशवासियों की ओर से उनको श्रद्धापूर्वक कोटि कोटि नमन, इस अवसर पर आयोजित किये जा रहे कार्यक्रम के बारे में जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई है. संत रविदास जी के विचारों का विस्तार असीम है. उनके दर्शन और विचार सदैव प्रासंगिक हैं. उन्होंने ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहां किसी भी प्रकार का भेदभाव ना हो. सामाजिक सुधार और समरसता के लिए वह आजीवन प्रयत्नशील रहे.
Also Read: Magh Purnima 2023: माघी पूर्णिमा स्नान के साथ पूरा हुआ कल्पवास, भावुक मन से संगम की रेती से विदा हुए कल्पवासीवे कहते थे ‘ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सभन को अन्न, छोटे बड़ों सब समान बसे, रविदास रहे प्रसन्न.’ समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए उन्होंने सौहार्द और भाईचारे की भावना पर बल दिया है. सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के जिस मंत्र के साथ हम आगे बढ़े रहे हैं, उसमें संत रविदास जी के न्याय, समानता और सेवा पर आधारित कालजयी विचारों का भाव पूरी तरह से समाहित है.
आजादी के अमृत कालखंड में संत रविदास जी के मूल्यों से प्रेरणा लेकर एक सशक्त समावेशी और भव्य राष्ट्र के निर्माण कि दिशा में हम तेजी से अग्रसर हैं. सामूहिकता के सामर्थ्य के साथ उनके दिखाए गये रास्ते पर चलकर हम 21वीं सदी में भारत को निश्चय ही नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएंगे. इस मौके पर संत रविदास पार्क में रैदासियों ने गुरु की याद में दीपदान किया.