डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RMLIMS) के ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. वीके शर्मा के अनुसार एक यूनिट से चार अवयव प्लाज्मा (Plasma), रेड ब्लड सेल (CRBC), प्लेटलेट (Platelet) और क्रॉयोप्रेसिपिटेट निकलते हैं. इनमें से प्लाज्मा, रेड ब्लड सेल और प्लेटलेट अलग-अलग तीन लोगों की जान बचाने में काम आती है. जबकि क्रॉयो का इस्तेमाल भी जीवन रक्षक दवा बनाने में होता है.
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प्लाज्मा का उपयोग जले हुए मरीजों, प्रसूताओं के इलाज में किया जाता है. प्लेटलेट्स को डेंगू, वायरल फीवर, सेप्टीसीमिया और मलेरिया के मरीजों को दिया जाता है. खून की कमी और थैलेसीमिया के मरीजों के इलाज में रेड ब्लड सेल की जरूरत पड़ती है. इससे समझा जा सकता है कि एक यूनिट रक्तदान करने से कोई भी व्यक्ति तीन लोगों की जान बचाने का कार्य करता है.
विश्व रक्तदाता दिवस कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती के रूप में मनाया जाता है. कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म 14 जून 1868 को हुआ था. इन्होंने एबीओ ब्लड ग्रुप सिस्टम की खोज की थी. इसके लिए कार्ल को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. वर्ष 2004 में WHO ने पहली बार विश्व रक्तदाता दिवस मनाना शुरू किया था. जिससे सभी देशों को लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. इस दिन स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों का सम्मान भी किया जाता है. जगह-जगह रक्तदान शिविर भी लगाए जाते हैं.
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18 से 50 वर्ष की उर्म का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है
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रक्तदाता का वजन 45 किलोग्राम से अधिक होना चाहिए.
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उसका हीमोग्लोबिन 12 से अधिक होना चाहिए
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता
हेपाटाइटिस बी या सी के रोगी रक्तदान नहीं कर सकते
गर्भवती महिला
लम्बे समय से किसी बीमारी की चपेट में हो
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे