Akhilesh Yadav : समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अवैध खनन मामले में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (CBI) ने गवाह के तौर पर तलब किया था. उन्हें 29 फरवरी को यानी आज दिल्ली में सीबीआई के सामने पेश होना था. लेकिन अब वह पेश होंगे. सूत्रों के अनुसार सीबीआई के समन को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. अवैध खनन मामले में 5 साल बाद सीबीआई ने अखिलेश को पूछताछ के लिए समन भेजा था. अखिलेश यादव शुक्रवार को लखनऊ में ही हैं. वह सपा कार्यालय में पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक की बैठक में शामिल होंगे. अवैध खनन मामले में सीबीआई 5 साल बाद फिर एक्टिव हुई है. 2019 में सीबीआई के डिप्टी SP केके शर्मा ने हमीरपुर अवैध खनन मामले में आईएएस बी. चंद्रकला समेत 11 के खिलाफ केस दर्ज कराया था. तब सीबीआई ने बी. चंद्रकला के लखनऊ स्थित फ्लैट समेत 14 जगहों पर छापेमारी की थी. अब 5 साल बाद अखिलेश यादव को बतौर गवाह पूछताछ के लिए बुलाया है. अखिलेश ने भी एक न्यूज चैनल से बात करते हुए चुनाव से पहले सीबीआई के एक्शन पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी के सबसे ज्यादा निशाने पर सपा है. साल 2019 में भी मुझे नोटिस भेजा गया, उस वक्त भी लोकसभा चुनाव था. मैं समझता हूं कि जब चुनाव आएगा तब नोटिस भी आएगा. बीजेपी घबराई क्यों है? इन्होंने तो इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बहुत काम किया है.
जानें पूरा मामला
यह मामला अखिलेश यादव की सरकार में हुए अवैध खनन का है. सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद जांच की. 1 जनवरी 2019 को इस मामले में आईएएस बी. चंद्रकला समेत 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है. इसमें सपा के विधान परिषद सदस्य रमेश कुमार मिश्रा और बसपा के टिकट पर 2017 में चुनाव लड़ने वाले संजय दीक्षित के नाम भी खोले गए थे. 14 जगह पर छापेमारी हुई. अधिकारियों ने बताया कि CRPC की धारा-160 के तहत जारी नोटिस में सीबीआई ने अखिलेश को 2019 में दर्ज मामले के संबंध में पेश होने के लिए कहा है. इस धारा के तहत जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति होती है. आरोप है कि 2012-16 के दौरान जब अखिलेश यूपी के मुख्यमंत्री थे तो खनन विभाग के अधिकारियों ने अवैध खनन की अनुमति दी. खनन पर NGT ने प्रतिबंध लगाया हुआ था. इसके बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया. यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी. पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूले गए.
अखिलेश कार्यालय ने 1 ही दिन में 13 प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि अखिलेश के पास कुछ समय तक खनन विभाग था. ई-टेंडर प्रोसेस का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूर थी. इनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी. सीबीआई ने दावा किया कि 17 फरवरी 2013 को 2012 की ई- टेंडर नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन करने के बाद हमीरपुर की डीएम बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे.