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UP News : बरेली में तैनात सिपाही उत्तराखंड में कर रहा था स्मैक की तस्करी, नैनीताल पुलिस ने दबोचा, सस्पेंड

बरेली की कैंट कोतवाली में तैनात एक सिपाही उत्तराखंड में स्मैक की तस्करी कर रहा था. शुक्रवार को उत्तराखंड के जिला नैनीताल पुलिस की एसओजी ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी सिपाही गैंग बनाकर लंबे वक्त से स्मैक के काले धंधे में जुड़ा हुआ था.

बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली की कैंट कोतवाली में तैनात एक सिपाही को स्मैक तस्करी में गिरफ्तार उत्तराखंड की नैनीताल एसओजी ने गिरफ्तार किया है.आरोपी सिपाही पर अपने साथियों के साथ लंबे वक्त से स्मैक तस्करी के धंधे में जुड़ने की बात सामने आ रही है.सिपाही को स्मैक खरीदने के बहाने जाल में फंसाया गया था.उसे सीबीगंज थाना क्षेत्र में डीलिंग के लिए बुलाया गया.इसके बाद एसओजी ने आरोपी सिपाही समेत तीनों स्मैक तस्करों को गिरफ्तार कर लिया.आरोपियों से करीब 1 करोड रुपए की स्मैक बरामद होने की बात सामने आ रही है.नैनीताल एसओजी ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेजने की तैयारी शुरू कर दी है.

आरोपी सिपाही की अप्रैल माह में थाने में पोस्टिंग

कैंट कोतवाली के इंस्पेक्टर बलवीर सिंह ने बताया कि आरोपी सिपाही की अप्रैल माह में थाने में पोस्टिंग हुई थी.वह मूल रूप से बागपत का रहने वाला है. मगर, वह अक्सर छुट्टी रहता था, और बहुत खामोशी के साथ ड्यूटी करने के बाद गायब हो जाता था. वह पिछले कुछ दिनों से छुट्टी पर था. मगर, गुरुवार शाम कोतवाली में ज्वाइन करना था, लेकिन वह नहीं आया.आरोपी सिपाही के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी पुलिस अफसरों को दे दी गई है.इसके बाद एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान ने आरोपी सिपाही को निलंबित (सस्पेंड) कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई.

एसओजी ने 6 लाख में किया सौदा

उत्तराखंड के नैनीताल की एसओजी ने कैंट थाने के सिपाही रविंद्र के साथ छह लाख रुपये में एक किलो स्मैक का सौदा किया था.इसके बाद एसओजी सीबीगंज थाना क्षेत्र में स्मैक तस्कर बनकर पहुंची थी. उसने सिपाही को वहीं बुला लिया.आरोपी सिपाही के साथ दो अन्य लोग भी थे. एसओजी की टीम ने स्मैक चेक की. इसके बाद सिपाही को दोनों साथियों के साथ दबोच लिया.एसएसपी नैनीताल ने मीडिया को बताया है कि पकड़े गए आरोपियों में बरेली की कैंट कोतवाली का सिपाही रविंद्र सिंह भी है.इसके साथ ही ही उसके साथी अर्जुन पांडे, मोरपाल भी शामिल हैं.उनके पास से एक बाइक भी बरामद की गई है.अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्मैक की कीमत एक करोड़ बताई गई है. आरोपी सिपाही वर्ष 2021 बैच का सिपाही है.वह बरेली में काफी समय से तैनात है.बरेली शहर का गंगापुर, फतेहगंज पश्चिमी,अलीगंज, बिशारतगंज, मीरगंज के कई गांव स्मैक तस्करी का अड्डा बन चुके हैं. सिपाही रविंद्र तस्करों से सांठगांठ कर उत्तराखंड में स्मैक की सप्लाई करता था.नैनीताल पुलिस, और एसओजी को काफी दिनों से उसकी तलाश में थी.इसके बाद एसओजी ने स्मैक डीलिंग के बहाने सिपाही को बुलाया और उसे गिरफ्तार कर लिया.

जुलाई में भी पकड़ी थी स्मैक

उत्तराखंड के कालाढूंगी थाना क्षेत्र के ब्रह्मबुबु मंदिर के पास सड़क किनारे से कुछ लोगों को स्मैक के साथ जुलाई में भी गिरफ्तार किया गया था.आरोपियों को यूपी नंबर की बाइक देखकर गश्त कर रही पुलिस की गाड़ी ने रोका था.मगर, आरोपियों ने पुलिस को देखते ही जंगल की तरफ दौड़ लगा दी. करीब 200 मीटर आगे जंगल में युवक पुलिस के हत्थे चढ़ा. पूछताछ में युवक ने खुद को यूपी के बरेली जिला स्थित अलीगंज थाने के गांव बीवनी निवासी बृजनंदन बताया था.आरोपी से तलाशी में 255 ग्राम स्मैक बरामद हुई थी.उसको जेल भेज दिया गया था.

4 दिन पहले पकड़े थे दो तस्कर

बरेली से उत्तराखंड में काफी समय से स्मैक की सप्लाई की जा रही है.4 दिन पहले 18 सितंबर को स्मैक लाकर बेचने की फिराक में जुटे दो लोगों को एसओजी ने पकड़ लिया था.इसकी कार के डैशबोर्ड से 10.28 ग्राम स्मैक मिली थी. पूछताछ में आरोपी ने अपना वत्सल बिष्ट (29) निवासी भोटिया पड़ाव हल्द्वानी ,और दूसरे ने बरेली जनपद के बहेड़ी निवासी मुश्ताक बताया था.इसके अलावा लालकुआं में सुभाषनगर बैरियर से आगे शमशान घाट के पास पुलिस ने प्रदीप मिर्धा को 17.92 ग्राम स्मैक के साथ गिरफ्तार किया था.आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेजा था.

इससे पहले भी बरेली में वर्दी पर कई बार दाग लग चुका है. इसमें स्मैक तस्करों से मोबाइल पर बातचीत करने के आरोप में कुछ दिन पूर्व ही कई पुलिसकर्मियों को एसएसपी ने सस्पेंड किया था. इसके साथ ही विभागीय कार्रवाई की जा रही है, तो वहीं कुछ वर्ष पूर्व स्मैक तस्कर सोनू कालिया के साथ रुपयों की डीलिंग का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.पूर्व कप्तान रोहित सजवान ने जांच के बाद आरोपी सिपाही के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेजा था.मगर, उस वायरल ऑडियो में एक अफसर का भी नाम आया था. पुलिसकर्मी ने एक अफसर के नाम पर रुपये की मांग की थी. इस मामले में जांच हुई. मगर, संबंधित अफसर का नाम सामने नहीं आया है.इसके साथ ही कोई कार्रवाई भी नहीं हुई थी.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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