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UP:अखिलेश यादव कैसे करेंगे 2024 का भंवर पार? इंडिया गठबंधन से बनाई दूरी, कुर्मी नेता रवि वर्मा ने भी छोड़ा साथ

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रवि प्रकाश वर्मा ने अपनी बेटी पूर्वी के साथ सपा से इस्तीफा दे दिया. रवि प्रकाश वर्मा लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट से तीन बार सांसद व एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं. अब वह कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव के लिए यह एक बड़ा झटका है.

समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक सदस्य और लखीमपुर खीरी लोकसभा क्षेत्र से तीन बार के सांसद रह चुके रवि प्रकाश वर्मा ने पार्टी के सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. अब वे कांग्रेस में शामिल होने के लिए तैयारी कर रहे हैं. वे समाजवादी पार्टी में कुर्मी समाज (ओबीसी) के बड़े चेहरे के रूप में पहचान रखते थे. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और सपा के बीच हुई घमासान के बाद यह घटना सामने आया है. दोनों विपक्षी पार्टी इंडिया गठबंधन के घटक हैं. वरिष्ठ नेता रवि प्रकाश वर्मा ने अपनी 33 वर्षीय बेटी पूर्वी के साथ सपा छोड़ दी, दोनों ने दावा किया कि उन्हें यह निर्णय लेने के लिए मजबूर किया गया है. क्योंकि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी कथित तौर पर जमीन पर लोगों से अलग हो गई है और अपनी सिद्धांतों से भटक गई है. ये दोनों सोमवार को कांग्रेस में शामिल होंगे.

प्रदेश में जाना माना कुर्मी चेहरा हैं रवि वर्मा

डॉक्टर पूर्वी वर्मा ने सपा के टिकट पर लखीमपुर खीरी सीट से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा नेता अजय मिश्रा टेनी से हार गईं. जानकारी के मुताबिक वर्मा परिवार का सपा से बाहर जाना बहुत बड़ा झटका है. क्योंकि वह प्रदेश में एक जाना माना कुर्मी चेहरा हैं और एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से हैं. उनके पिता बालगोविंद वर्मा, लखीमपुर खीरी से चार बार सांसद रहे और इंदिरा गांधी कैबिनेट में मंत्री थे. 1980 में बालगोविंद की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी उषा ने उसी निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार चुनाव लड़ा और जीता. बाद में रवि ने इस सीट से तीन बार जीतकर उनकी राजनीतिक विरासत संभाली. 2014 के लोकसभा चुनाव में वर्मा को लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा टेनी ने हराया था. पूर्वी को 2019 में भी इसी सीट से हार का सामना करना पड़ा था.

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समाजवादी पार्टी समाजवाद के मूल मूल्य से भटक गई है- पूर्वी वर्मा

पूर्वी वर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मैं अखिलेश यादव के कामकाज से प्रभावित होकर राजनीति में आई थी, लेकिन अब यह कहते हुए दुख हो रहा है कि समाजवादी पार्टी समाजवाद के मूल मूल्य से भटक गई है, जिसमें किसानों, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा के लिए आवाज उठाना शामिल है. जनता चीजों को बहुत गंभीरता से लेती है. भाजपा के नेता जमीन पर जाते हैं और वे हमारे नेताओं को आते हुए नहीं देखते हैं. जनता देखती है कि कहीं पार्टी नेतृत्व केवल कुछ सीटों या लोगों को लेकर ही तो गंभीर नहीं है. इसकी वजह से पार्टी को कीमत चुकानी पड़ती है.

पुरानी पार्टी में घर वापसी कर रहे हैं- वर्मा परिवार

वहीं रवि वर्मा अपनी बेटी के विचारों को दोहराते हुए कहा कि आज पार्टी नेताओं के बजाय प्रबंधकों पर भरोसा कर रही है. ऐसे समय में जब भाजपा बूथ समितियां बना रही है, हमारा जिला नेतृत्व लखनऊ के चक्कर लगाने में व्यस्त है क्योंकि पार्टी को प्रबंधकों की जरूरत है. जिन लोगों को ज़मीन पर चुनाव लड़ना होता है, ये चीज़ें उनके लिए मुश्किले खड़ी कर देती हैं. पूर्वी वर्मा ने कांग्रेस के साथ अपने परिवार के पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि सबसे पुरानी पार्टी में घर वापसी कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक वर्मा परिवार पहले ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी से मिल चुके हैं.

हमने उन्हें सब कुछ दिया, उन्हें और क्या सम्मान चाहिए- राजेंद्र चौधरी

वहीं कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि सपा के और भी नेता उनके संपर्क में हैं, जो जल्द ही पार्टी में शामिल हो सकते हैं. तो वहीं सपा ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि वर्मा ने अपने “निजी हित” में पार्टी छोड़ी है. सपा ने आगे कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा से मुकाबला करने के बजाय अपने सहयोगियों का नुकसान कर रही है. उन्होंने कहा कि हमें इंडिया गठबंधन के सदस्य के तौर पर बीजेपी से लड़ना है लेकिन कांग्रेस इसके बजाय समाजवादी पार्टी को ही निशाना बना रही है और हमें तोड़ रही है. एक गठबंधन धर्म है, जिसे वे हमें याद दिलाते हैं लेकिन खुद भूल जाते हैं. गठबंधन में हम अपने स्वयं के सहयोगियों पर दबाव नहीं डालते हैं. वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जहां तक ​​वर्मा का सवाल है, हमने उन्हें सब कुछ दिया. हमने उन्हें राज्यसभा भेजा, हमने उन्हें पार्टी महासचिव बनाया. इससे अधिक उन्हें क्या सम्मान चाहिए था. चौधरी ने आरोप लगाया कि वर्मा और कांग्रेस जो कर रहे हैं, वह गलत और राजनीतिक मर्यादा के खिलाफ है.

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष और सपा प्रमुख के बीच चला था जुबानी जंग

बता दें कि वर्मा का यह कदम मध्य प्रदेश चुनावों के लिए सीट-बंटवारे की व्यवस्था के विफल होने पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है, जिसमें दोनों गठबंधन सहयोगी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. इससे अखिलेश और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और सपा प्रमुख के बीच जुबानी जंग भी शुरू हो गया था. मध्य प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज कमल नाथ और दिग्विजय सिंह की आलोचना करते हुए उन्हें “चिरकुट” नेता कहा गया. वहीं यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने समाजवादी पार्टी को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सहयोग करने के लिए कहा क्योंकि वहां उसका कोई आधार नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पार्टी सत्तारूढ़ बीजेपी से लड़ना चाहती है तो उसे कांग्रेस के पीछे एकजुट होना चाहिए.

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