Lucknow News: राजधानी लखनऊ में रविवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ बैठक में बड़ा ऐलान किया. उन्होंने भतीजे आकाश आनंद को अपना सियासी उत्तराधिकारी घोषित किया. इस दौरान लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर उन्होंने पदाधिकारियों को निर्देश दिए. आकाश आनंद लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन कर चुके हैं. इस समय वह पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं. हाल ही में राज्यों के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कई जनसभाएं की और अहम भूमिका निभाई. आकाश आनंद ने राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ तक पार्टी को मजबूत बनाने की कोशिश की. इन जगहों में बसपा के वोट प्रतिशत में इजाफा दर्ज किया गया है. मायावती उनकी मेहनत और संगठन के कामकाज से बेहद प्रभावित हैं. इसलिए उन्होंने अब बसपा की भविष्य की बागडोर आकाश आनंनद को सौंपने का निर्णय किया है. अब लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मायावती ने आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. आकाश फिलहाल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा पूरे देश में बसपा संगठन की जिम्मेदारी को देखेंगे. इसे पार्टी को युवाओं से ज्यादा से ज्यादा जोड़ने की मुहिम से भी देखा जा रहा है.
आकाश आनंद की सियासत में एंट्री वर्ष 2017 में हुई थी. तब वह सहारनपुर रैली में पहली बार मायावती के साथ मंच पर दिखे थे. उस समय आकाश का चेहरा काफी सुर्खियों में रहा था. तब कहा गया कि मायावती ने अपने भतीजे को सियासत में लॉन्च किया है. आकाश काफी समय से नेशनल कोऑर्डिनेटर की भूमिका को सक्रियता से निभा रहे हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे को उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद पार्टी पदाधिकारियों ने इसका स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि चुनाव में आकाश आनंद के नेतृत्व में पार्टी पूरी मेहनत से काम करेगी. आकाशं आनंद की वजह से युवा वर्ग बसपा में और ज्यादा जोश से जुड़ेगा. पार्टी नेता उदयवीर सिंह ने इस फैसल की पुष्टि करते हुए कहा कि बसपा प्रमुख मायावती ने आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है. बैठक के बाद कई नेताओं ने कहा कि बहनजी ने आका आनंद को पूरा भारत सौंप दिया है, ये बेहद अच्छा निर्णय है. हम सभी इससे खुश हैं.
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कुछ नेताओं ने कहा कि ये निर्णय काफी पहले हो जाना चाहिए था. देखा जाए तो यूपी में बसपा 2017 और 2019 के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी महज एक सीट पर सिमट गई. बसपा सुप्रीमो मायावती को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो उनके मुताबिक संगठन की जिम्मेदारी निभा सके. पूरे देश में बहुजन समाज को पार्टी से जोड़ से और युवाओं के बीच में पैठ बनाने का काम करे. बताया जा रहा है कि मायावती ने बैठक में कहा कि उनके समक्ष कई नेता जुड़े. लेकिन, वह उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके. आकाश आनंद को काफी सोच विचार के बाद जिम्मेदारी सौंपी गई है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने बैठक में कहा कि विरोधी पार्टियां सैकड़ों हजारों करोड़ों रुपए के चंदों के बल पर शाही और काफी खर्चीला चुनाव लड़कर जनमत को प्रभावित करने का प्रयास करती हैं, जबकि बस बड़े-बड़े धन्नासेठों और बड़े-बड़े पूंजीपतियों के सहारे और उनके इशारों से बचने के लिए केवल अपने लोगों के खून पसीने की कमाई पर ही आश्रित है और उन्हीं के तन, मन, धन के बल पर चुनाव लड़ती है. इस प्रकार बसपा एवं अन्य पार्टियों का फर्क साफ है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है कि घोर राजनीतिक और चुनावी स्वार्थ से अलग हटकर उनका असली हितैषी कौन है.
मायावती ने कहा कि देश के चार राज्यों में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में विरोधी पार्टियों ने आचार संहिता की जिस प्रकार से धज्जियां उड़ाते हुए लोक लुभावने और कभी ना पूरे होने वाले वादे किए, उससे चुनाव काफी हद तक प्रभावित हुआ. उन्होंने कहा कि चुनाव का माहौल बहुकोणीय संघर्ष होने के बावजूद परिणाम बिल्कुल अलग एक तरफ हो जाना ऐसा मुद्दा है, जो चर्चा का विषय है कि क्या लोकसभा का अगला चुनाव भी इस प्रकार के छद्म नारे और चुनावी छलावों के आधार पर ही लड़ा जाएगा और गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी आदि ज्वलंत समस्याओं से त्रस्त जनता बेबस सब कुछ देखती रहेगी या फिर उसका कोई लोकतांत्रिक समाधान भी निकलेगी.
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि ऐसे में लोगों को सजक और सावधान रहना बहुत जरूरी है कि लोक लुभावने वादों, छद्म दावों और चतुर नारों आदि की राजनीति से उन लोगों का जीवन सुधारने वाला नहीं है, बल्कि सरकार को रोजगार के अवसर देश की 140 करोड़ जनता के हिसाब से पैदा करने होंगे. उन्होंने कहा कि इसीलिए महंगाई दूर करना और इज्जत की रोटी के लिए रोजगार आदि मुहैया कराकर बेरोजगारी दूर करना जैसे जनहित के वास्तविक कार्यों पर सरकार को अपनी सोच, नीति, शक्ति और संसाधन लगाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा.
मायावती ने कहा कि किसी भी प्रकार से चुनावी चर्चा और मीडिया की हेडलाइन में बिना रोक-टोक बने रहने का विरोधी पार्टियों का प्रयास देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए क्या उचित है? लेकिन, उन्हें रोके कौन, उसी का नतीजा है कि सरकार विरोधी लहर के बावजूद चुनाव परिणाम लोगों के अपेक्षा अपेक्षा के मुताबिक नहीं होते हैं. अब आगे लोकसभा चुनाव के दौरान भी चुनावी माहौल को जातिवादी, सांप्रदायिकता और धार्मिकता के गैर जरूरी रंग में रंगकर प्रभावित करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन आदि के देश की जनता के हालात पर से लोगों का ध्यान बांटा जा सके.
मायावती ने इस ऑल इंडिया बैठक में स्पष्ट किया की चुनावी गठबंधन से बसपा को नुकसान ज्यादा होता है, क्योंकि हमारा वोट दूसरी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है, जबकि दूसरी पार्टियों अपना वोट बसपा को ज्यादातर मामलों में ट्रांसफर नहीं कर पाती हैं. अर्थात दूसरी पार्टियों की नीति और कार्यक्रम बीएसपी की तरह सर्वजन हिताय और सवर्जन सुखाय जैसे विशुद्ध अंबेडकरवादी नहीं होने के कारण गठबंधन में सकारात्मकता कम और नकारात्मकता ज्यादा होती है. उन्होंने कहा कि खास कर यूपी में तो उसका तजुर्बा बहुजन मूवमेंट के हित में बहुत ही कड़वा और खराब रहा.